मेरा नाम रिया है, और मैं 19 साल की थी जब यह कहानी घटी। मैं मेरठ के एक छोटे-से मोहल्ले में रहती थी, जहाँ की गलियाँ सुबह की चाय की चुस्कियों और शाम की गपशप से भरी रहती थीं। मैं कॉलेज में पढ़ती थी और अपनी ज़िंदगी को अपने तरीके से जीने की कोशिश करती थी। मेरा चेहरा भोला था, लेकिन मेरी आँखों में एक ऐसी चमक थी, जो हर किसी को अपनी ओर खींचती थी। यह कहानी मेरी और मेरे जीजा, अजय, की है। मैं जानती हूँ कि यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह मेरी सच्चाई है, और मैं इसे पूरी ईमानदारी से आपके सामने रख रही हूँ।
मेरी दीदी, प्रिया, की शादी अजय जीजा से दो साल पहले हुई थी। जीजा 32 साल के थे, स्मार्ट, हैंडसम, और एक बिजनेसमैन। उनकी गहरी आवाज़ और बिंदास अंदाज़ मुझे हमेशा से आकर्षित करते थे। जब भी वे हमारे घर आते, मैं उनके साथ हँसी-मज़ाक करती, और उनकी बातें मुझे बहुत पसंद थीं। दीदी और जीजा दिल्ली में रहते थे, लेकिन छुट्टियों में वे अक्सर मेरठ आते थे। उस साल गर्मियों की छुट्टियों में दीदी और जीजा हमारे घर आए। मेरे माता-पिता को एक रिश्तेदार की शादी के लिए गांव जाना था, और घर में सिर्फ मैं, दीदी, और जीजा रह गए।
एक दिन दोपहर को, दीदी को अपने दोस्तों से मिलने जाना था। उन्होंने मुझसे कहा, “रिया, मैं शाम तक आ जाऊँगी। तुम और जीजा घर संभाल लेना।” मैंने हामी भरी, लेकिन मेरे मन में एक अजीब-सी बेचैनी थी। जीजा के साथ अकेले समय बिताने का ख्याल मुझे थोड़ा घबराने के साथ-साथ उत्साहित भी कर रहा था। उस दिन मैं अपने कमरे में किताब पढ़ रही थी, जब जीजा मेरे कमरे में आए। “रिया, क्या पढ़ रही हो?” उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा। मैंने शरमाते हुए कहा, “बस, जीजा, कॉलेज की किताब।” उन्होंने हंसते हुए कहा, “अरे, इतनी सीरियस मत बनो। ज़िंदगी में थोड़ा मज़ा भी करना चाहिए।”
उनकी बातों में एक शरारत थी, जो मेरे मन को बेचैन कर रही थी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “जीजा, आप तो हमेशा मज़े में रहते हैं। कोई राज़ बताइए ना!” उन्होंने मेरी ओर देखा और बोले, “रिया, राज़ तो बहुत हैं, लेकिन तुम अभी छोटी हो।” मैंने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा, “जीजा, मैं 19 साल की हूँ! मैं छोटी नहीं हूँ।” उनकी हंसी और गहरी हो गई, और उन्होंने कहा, “अच्छा, तो तुम जवान हो? फिर तो तुम्हें ज़िंदगी के कुछ मज़ेदार अनुभव भी लेने चाहिए।”
उनकी बातों ने मेरे अंदर एक अजीब-सी सिहरन पैदा कर दी। मैंने शरमाते हुए कहा, “जीजा, आप भी ना… ऐसी बातें मत करो।” लेकिन उन्होंने मेरे करीब आकर मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा, “रिया, तुम बहुत खूबसूरत हो। क्या तुमने कभी किसी के साथ करीब होने का अनुभव लिया है?” मेरे गाल लाल हो गए, और मैंने धीरे से कहा, “नहीं, जीजा… मैंने कभी ऐसा नहीं किया।” उनकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे और बेचैन कर रही थी।
उस शाम, जब बाहर बारिश शुरू हो गई, जीजा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया। “रिया, आओ, थोड़ा मूवी देखते हैं,” उन्होंने कहा। मैं उनके साथ ड्राइंग रूम में बैठ गई। उन्होंने एक रोमांटिक मूवी लगाई, और माहौल में एक अजीब-सी गर्मी थी। मूवी में एक सीन आया, जहाँ हीरो-हीरोइन एक-दूसरे के करीब आ रहे थे। जीजा ने मेरी ओर देखा और कहा, “रिया, क्या तुमने कभी किसी को इतना करीब से छुआ है?” मैंने शरमाते हुए सिर झुका लिया और कहा, “नहीं, जीजा।”
उन्होंने धीरे से मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “रिया, मैं तुम्हें कुछ सिखाना चाहता हूँ।” मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। मैंने हल्के से सिर हिलाया, और उन्होंने मुझे अपनी ओर खींच लिया। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। “रिया, मैं तुम्हें लंड चूसना सिखाऊँगा,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। मेरे गाल शर्म से लाल हो गए, लेकिन मेरे अंदर की उत्सुकता मुझे रोक नहीं पा रही थी।
जीजा ने अपनी पैंट उतारी, और उनका सख्त लंड मेरे सामने था। मैंने शरमाते हुए उनकी ओर देखा और कहा, “जीजा, मुझे डर लग रहा है।” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “रिया, डरने की कोई बात नहीं। मैं तुम्हें धीरे-धीरे सिखाऊँगा।” उन्होंने मेरा हाथ लिया और अपने लंड पर रखा। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाया, और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। “हाँ, रिया, ऐसे ही… अब इसे अपने मुँह में लो,” उन्होंने कहा। मैंने हिचकिचाते हुए उनके लंड को अपने मुँह में लिया। उनकी गर्मी और उनका स्वाद मेरे लिए एक नया अनुभव था।
जीजा ने मेरे सिर को पकड़कर धीरे-धीरे मुझे गाइड किया। मैं उनकी बात मान रही थी, और हर पल मेरे अंदर की वासना जाग रही थी। “रिया, तुम बहुत अच्छा कर रही हो,” उन्होंने सिसकारते हुए कहा। मैंने उनकी तारीफ सुनकर और जोश में आ गई। कुछ देर बाद, जीजा ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी सलवार का नाड़ा खोला। मेरी सीलपैक चूत उनके सामने थी। उन्होंने धीरे-धीरे मेरी चूत को सहलाया, और मेरी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “जीजा, ये… इतना अच्छा क्यों लग रहा है?” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “रिया, ये प्यार का सुख है। अब मैं तुम्हें और करीब ले जाऊँगा।” उन्होंने धीरे-धीरे अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया। मैंने डरते हुए कहा, “जीजा, धीरे… ये मेरा पहली बार है।” उन्होंने मेरे माथे पर एक चुम्बन दिया और कहा, “रिया, मैं तुम्हें तकलीफ नहीं दूँगा।” धीरे-धीरे, उनके लंड ने मेरी सीलपैक चूत की सील तोड़ दी। मैं दर्द और सुख के मिश्रण में खो गई। हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ तेज़ होती गईं। “हाँ, जीजा… और… और तेज़,” मैंने सिसकारते हुए कहा।
उस रात, बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच, जीजा ने मुझे चुदाई का सुख सिखाया। मैं हर पल में खो गई थी। उनकी हर छुअन, उनकी हर बात, और उनकी गर्मी ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। हम दोनों ने उस रात एक-दूसरे को पूरी तरह समर्पित कर दिया। सुबह होने से पहले, जीजा ने मुझे गले लगाया और कहा, “रिया, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, जीजा… ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल है।”
अगले दिन, दीदी वापस आ गईं, और सब कुछ सामान्य हो गया। जीजा और मैंने उस रात की बात कभी सामने नहीं लाई। लेकिन मेरे मन में उनकी यादें हमेशा के लिए बस गईं। जीजा अब भी मेरे साथ हँसी-मज़ाक करते हैं, लेकिन उस रात का जादू सिर्फ हम दोनों के बीच का राज़ है।
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