अंतर्वासना की कहानी: माँ के साथ लॉकडाउन की रातों में गर्मी भरी चुदाई :मेरे परिवार में मैं, मेरी माँ, मेरे पापा, और मेरी बड़ी दीदी हैं। माँ की उम्र 40 साल है, और उनका फिगर 38-32-40 का है। उनका गोरा रंग, भरा हुआ बदन, बड़े-बड़े रसीले बूब्स, और इतनी खूबसूरत गांड कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। पापा मुंबई में नौकरी करते थे, और 2020 के लॉकडाउन की वजह से वहीं फंस गए। घर पर सिर्फ मैं, माँ, और दीदी रह गए थे। लॉकडाउन के दिन सामान्य थे, पर मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था।
मुझे माँ-बेटे की चुदाई की कहानियाँ पढ़ने का शौक था। मैं हमेशा सोचता था कि क्या ये कहानियाँ सच हो सकती हैं? मैं इन बातों पर यकीन नहीं करता था, पर मेरे मन में एक अजीब सी उत्सुकता थी। मैं रात को अकेले में मुठ मारता और माँ-बेटे की अंतर्वासना कहानियाँ पढ़ता। ये सब मेरे लिए सिर्फ फंतासी था, पर एक दिन ये फंतासी हकीकत में बदल गई।
कहानी की शुरुआत
लॉकडाउन के दौरान एक दिन मैं अपने कमरे में बैठकर माँ-बेटे की चुदाई की एक अंतर्वासना कहानी पढ़ रहा था। माँ किचन में नाश्ता बना रही थीं। उनकी साड़ी में उनकी गांड इतनी मस्त लग रही थी कि मेरा लंड तन गया। मैंने धीरे से अपने लंड को सहलाना शुरू किया। फिर हिम्मत जुटाकर मैं किचन में गया और बोला, “माँ, नाश्ता कब बनेगा? भूख लगी है!”
माँ ने जवाब दिया, “बस 10 मिनट और, जरा सब्र कर!”
मैंने कहा, “माँ, एक ग्लास पानी दे दो!”
उन्होंने बोला, “खुद ले ले, फ्रिज में है!”
मैंने जानबूझकर पानी की बोतल उनके ऊपर गिरा दी। पानी उनकी गांड और सीने पर गिर गया, जिससे उनकी साड़ी और ब्लाउज गीले हो गए। मैंने तुरंत कहा, “अरे माँ, सॉरी! गलती से गिर गया!” और उनके गीले सीने को पोंछने के बहाने उनके बूब्स पर हाथ फेरने लगा। उनके बूब्स इतने मुलायम थे कि मेरा लंड और सख्त हो गया।
तभी दीदी आ गईं और बोलीं, “क्या हुआ?”
माँ ने कहा, “कुछ नहीं, इसने पानी गिरा दिया। तू नाश्ता बना, मैं कपड़े बदल लूँ!”
मैं माँ के पीछे गया और बार-बार सॉरी बोलता रहा। माँ ने कहा, “ठीक है, तू बाहर जा, मैं बदल लूँ!”
मैं बाहर आ गया, पर उनके बूब्स की नरमी मेरे दिमाग में घूम रही थी। मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारी और ठान लिया कि माँ को चोदकर रहूँगा। मेरे मन में एक प्लान बनने लगा।
पहला कदम: ब्रा पर माल
अगले दिन मैंने सिर्फ नेकर पहना, बिना अंडरवियर के, और ऊपर एक ढीली टी-शर्ट। माँ के नहाने से पहले मैंने उनकी ब्रा पर अपनी मुठ मारी और सारा माल उस पर छोड़ दिया। फिर मैं दूसरे कमरे में जाकर टीवी देखने लगा। माँ ने ब्रा उठाई और मुझे आवाज़ दी, “राजेश, ये क्या गिराया तूने मेरी ब्रा पर?”
मैंने बनावटी मासूमियत से कहा, “पता नहीं माँ, मैंने तो कुछ नहीं किया!”
माँ ने दीदी से पूछा, पर दीदी ने भी मना कर दिया। फिर माँ ब्रा लेकर बाथरूम चली गईं। मैं चुपके से बाथरूम की खिड़की से देखने गया। जो मैंने देखा, उसने मुझे हैरान कर दिया। माँ मेरे माल को अपनी जीभ से चाट रही थीं और अपनी चूत में उंगली कर रही थीं। ये देखकर मेरी हिम्मत दस गुना बढ़ गई।
रात का पहला खेल
उसी रात मैंने माँ से कहा, “माँ, आज गर्मी बहुत है। मैं सिर्फ नेकर में सो जाऊँ?”
माँ ने कहा, “तेरी मर्ज़ी!”
मैं माँ के कमरे में उनके बगल में लेट गया। माँ साड़ी और ब्लाउज में थीं। रात के करीब 2 बजे, जब मुझे लगा कि माँ सो गई हैं, मैंने धीरे से उनके ब्लाउज का एक हुक खोला। उनके बड़े-बड़े बूब्स और गुलाबी निप्पल देखकर मेरा लंड उछलने लगा। मैंने धीरे से उनका हाथ अपने लंड पर रखा और हिलाने लगा। फिर मैंने लंड उनके होंठों पर रगड़ा।
जब मैं झड़ने वाला था, मैंने माल उनके बूब्स पर गिरा दिया और डरकर उनके बगल में सो गया। सुबह जब आँख खुली, मैं डरा हुआ था। माँ चाय लेकर आईं और बोलीं, “रात को तूने क्या किया?”
मैंने कहा, “कुछ नहीं!”
दीदी ने पूछा, “क्या हुआ?”
माँ ने कहा, “कुछ नहीं, तू रूम में जा!”
दीदी के जाने के बाद माँ ने मुझे चांटा मारा और बोलीं, “ये सब गलत है, राजेश! तुझे शर्म नहीं आती?” मैंने सॉरी कहा और रोने लगा। माँ मेरे पास बैठीं और बोलीं, “बेटा, मैं जानती हूँ तू बड़ा हो गया है, पर ये गलत है!”
मैंने कहा, “माँ, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। आपने भी तो मेरा माल चाटा था!” माँ शरमा गईं और बोलीं, “छी, तू वो देख रहा था!” मैं उनकी गर्दन पर चूमने लगा और उनके बूब्स दबाने लगा। माँ ने मुझे धक्का दिया और बोलीं, “ये गलत है!” फिर वो चली गईं।
किचन में चुदाई का आगाज़
जब दीदी नहाने गईं, मैंने मौका देखकर माँ को किचन में पकड़ लिया। मैंने उनकी साड़ी ऊपर की और उनके बूब्स दबाने लगा। पहले उन्होंने विरोध किया, पर धीरे-धीरे वो मेरा साथ देने लगीं। मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाला। माँ सिसकारियाँ लेने लगीं, “आह… धीरे!”
5 मिनट बाद मैंने उनका मुँह अपने माल से भर दिया। दीदी के आने से पहले माँ ने कपड़े ठीक किए और धीरे से बोलीं, “रात को मेरी प्यास बुझा देना!” मैं रात का इंतज़ार करने लगा।
रात की पूरी चुदाई
रात को मैं माँ के कमरे में पहले से नंगा लेटा था। माँ आईं और अपनी शादी का जोड़ा पहनकर बोलीं, “आज मैं तेरी बीवी हूँ!” मैंने उनके होंठ चूसे, उनके बूब्स दबाए, और उनकी चूत चाटी। माँ ने मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसा। फिर मैंने उनकी चूत में लंड डाला। माँ चिल्लाईं, “हरामी की औलाद, धीरे!” मैंने पूछा, “मैं हरामी की औलाद कैसे?” माँ बोलीं, “बाद में बात करेंगे, अभी चुदाई कर!”
20 मिनट तक चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में झड़ गया। फिर मैंने तेल लगाकर उनकी गांड में लंड डाला। माँ चिल्लाईं, पर बाद में मज़ा लेने लगीं। रात के 3 बजे तक हम चुदाई करते रहे। मैंने उनकी चूत और गांड दोनों का मज़ा लिया।
आखिरी सवाल
सुबह मैंने पूछा, “माँ, क्या मैं आपकी औलाद नहीं हूँ?” माँ ने हँसकर कहा, “तू मेरा खसम है!” उन्होंने साफ जवाब नहीं दिया, पर उनकी चुदाई का मज़ा मेरे लिए जन्नत जैसा था।
अगला भाग
अगली सुबह क्या हुआ, कैसे दीदी के साथ मज़ा लिया, वो अगले भाग में बताऊँगा। अपनी राय मुझे मेल करें।
नोट: ये कहानी काल्पनिक है और केवल मनोरंजन के लिए है। असल ज़िंदगी में अनैतिक रिश्तों को बढ़ावा न दें।