चोर की चुदाई – मेरी ज़िन्दगी की सबसे गंदी रात | Antarvasna Sex Kahani

मैं पूजा हूँ, उम्र 28 साल। शादी को पाँच साल हो चुके थे मगर मेरे पति रोहन के साथ मेरा रिश्ता अब बस नाम का रह गया था। वो दिनभर ऑफिस के काम में डूबे रहते और रात को थके हुए बिना मुझे छुए सो जाते। मैं अपने जिस्म की भूख को दबाकर मुस्कराती रहती मगर अंदर से मेरी चूत हर वक्त किसी मर्द के लंड के लिए तड़पती रहती थी।

हमारे कॉलोनी में चोरियों की घटनाएँ बढ़ गई थीं। लोग डर से रात में दरवाजे बंद करके सोते थे। एक रात, रोहन ऑफिस टूर पर बाहर गया हुआ था और मैं अकेली थी। उस रात मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ जो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती।

रात के लगभग दो बजे थे, मैं नींद में थी कि अचानक किसी की सरसराहट की आवाज़ सुनाई दी। मैंने चौंककर आँखें खोलीं और देखा कि कोई साया ड्राइंग रूम में घूम रहा है। दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं डर गई मगर हिम्मत जुटाकर बिस्तर से उठी और धीरे-धीरे जाकर देखा, तो एक चोर अलमारी में हाथ मार रहा था।

वो लम्बा चौड़ा, गठीला बदन वाला लड़का था। चेहरे पर नकाब था मगर उसकी आँखों की चमक और मर्दाना जिस्म ने मेरी चूत में गीला पन ला दिया। मैं डर के मारे कांप रही थी मगर मेरा जिस्म कुछ और ही चाहता था। चोर ने मुझे देखा तो झट से मेरे मुँह पर हाथ रखकर मुझे दीवार से चिपका दिया।

“शोर मचाया तो गला दबा दूँगा!” उसने कहा।

मगर उस वक्त मेरी चूत का पानी लिकल चुका था। मैंने बिना सोचे उसके हाथ को हटाया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “अगर तुम मेरी बात मानोगे तो मैं शोर नहीं मचाऊँगी।”

वो चौंका। “क्या चाहती है?”

मैंने उसकी पैंट के उभार की तरफ इशारा किया। “तेरे इस लंड को मेरी प्यासी चूत में डाल दे… और फिर जो चाहे ले जा इस घर से।”

वो पहले तो हक्का-बक्का रह गया, फिर उसके चेहरे पर एक गंदी मुस्कान फैल गई। उसने बिना कुछ कहे मेरे गाउन की डोरी खोल दी। मेरा नंगा बदन देखकर उसके लंड ने जोर का हिलना शुरू कर दिया। उसने अपनी पैंट नीचे उतारी और उसका मोटा, तना हुआ लंड बाहर आ गया। इतना मोटा और लम्बा लंड मैंने कभी अपने पति में भी नहीं देखा था।

“अब बोलेगी मत,” उसने कहा और मुझे पलंग पर पटक दिया।

मैंने अपनी टाँगे फैला दीं और मेरी गीली चूत उसके लंड को इन्तजार कर रही थी। उसने बिना देर किए अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दिया। जोर का झटका लगा और मैं कराह उठी, “आह्ह्ह… हाँ… यही तो चाहती थी मैं।”

वो चोर किसी जानवर की तरह मुझे चोद रहा था। उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं चाहकर भी खुद को उससे छुड़ा नहीं पा रही थी। मगर सच तो ये था कि मैं छूटना ही नहीं चाहती थी। हर धक्का मेरे अंदर एक नयी आग भर रहा था।

उसने मुझे पलटकर डॉग्गी पोजीशन में किया और पीछे से मेरी चूत में घुसकर मेरी गांड पर जोर से चाटा मारा। मेरी चीख निकल पड़ी, मगर वो चीख दर्द की नहीं, मज़े की थी। उसने मेरी चूत को मरोड़ा और बोला, “तेरी चूत बहुत गर्म है रंडी…!”

मैंने मुँह खोलकर कहा, “हाँ… चोद मुझे… और गहराई तक डाल अपना लंड… मैं पागल हो रही हूँ।”

उसकी स्पीड बढ़ती गई। पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाजों से गूंजने लगा। दीवारों से टकराता लंड, मेरे स्तनों का उछलना, और मेरी कराहती आवाजें उस रात की गवाह थीं कि मैं किस तरह एक अजनबी चोर से अपनी अधूरी हवस पूरी करवा रही थी।

कुछ ही देर में उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसके लंड को चूसने लगी। वो मेरी जिह्वा पर उसके लंड की नोक को घिसता और मैं उसे गहराई तक अपने गले में ले जाती। उसका धड़कता हुआ लंड मेरी जीभ पर हिल रहा था और मैं उसके हर एक लिक्विड को चाट रही थी।

“ले अब पूरा निकाल दे, रंडी!” उसने कहा और मैंने अपने होंठ फैलाकर उसकी तरफ देखा।

अगले ही पल उसका लंड मेरी चूत में फिर से घुसा और उसने इतनी जोर से धक्के मारे कि मैं खुद को संभाल नहीं पाई। मेरे शरीर में एक झटका सा लगा और मैं झरने की तरह बह गई। मेरी चूत से पानी की धार फूट पड़ी।

वो भी बस एक-दो जोरदार झटकों के बाद मेरे अंदर ही झड़ गया। गरम वीर्य की धार ने मेरे अंदर एक अजीब सुकून भर दिया था।

हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े। कुछ पल वो मेरी छाती पर सिर रखे लेटा रहा और फिर उठकर कपड़े पहनने लगा। जाने से पहले उसने मेरी तरफ देखा और बोला, “तेरे जैसी औरतों के लिए ही मैं चोर बना हूँ।”

उसके जाने के बाद मैं बिस्तर पर लेटी अपनी चूत में भरा उसका वीर्य महसूस कर रही थी। उस रात एक चोर ने मेरी अधूरी औरत को मुकम्मल किया था। वो रात मेरी जिंदगी की सबसे गंदी और सबसे हसीन रात थी।

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