मेरा नाम रोहित है, मैं एक छोटे से कस्बे का रहने वाला हूँ। हमारे कस्बे में बस एक ही बड़ा कॉलेज था — शिवाजी डिग्री कॉलेज। 12वीं पास करने के बाद मैं यहीं B.A. में एडमिशन ले लिया।
कॉलेज में आने के बाद मेरी नजर जिस लड़की पर पहली बार पड़ी, वो थी सिमरन शर्मा — कॉलेज की टॉपर। गोरी, लंबे बाल, बड़ी-बड़ी आंखें और चाल में एक अलग ही आत्मविश्वास। गांव के लड़के उसे बस दूर से देख कर दिल हार बैठते थे, लेकिन बात करने की हिम्मत किसी की नहीं होती थी।
सिमरन बहुत पढ़ाकू थी, लेकिन साथ ही उसकी हंसी में एक ऐसा नशा था कि अगर वो तुम्हारी तरफ देख कर मुस्कुरा दे तो तुम सारी क्लास भूल जाओ।
मैं शुरू में बस दूर से उसे देखता था, लेकिन मन में एक अजीब सी ख्वाहिश जागने लगी थी — काश एक बार उससे बात हो जाए…
पहली बार बात
एक दिन लाइब्रेरी में मैं नोट्स देख रहा था कि वो पास आकर बोली —
“रोहित, तुम्हारे पास सोशियोलॉजी के नोट्स हैं? सुना है तुम्हारे लिखने का तरीका अच्छा है।”
मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई।
“हाँ, हैं… तुम चाहो तो ले लो,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
उसने नोट्स लिए, हल्की सी मुस्कान दी और बोली — “थैंक यू, तुम सच में अच्छे हो।”
बस, वही दिन था जब हमारी बातों की शुरुआत हुई।
करीब आने के बहाने
धीरे-धीरे हम लाइब्रेरी में साथ बैठने लगे, कैंटीन में चाय पीने लगे।
कभी-कभी वो मेरी कॉपी में झुक कर पढ़ती तो उसके बाल मेरे गाल को छू जाते। उस हल्के स्पर्श से ही मेरे बदन में सनसनी दौड़ जाती।
एक दिन उसने मुझसे कहा —
“रोहित, मुझे फाइनल प्रोजेक्ट में तुम्हारी मदद चाहिए… क्या तुम मेरे घर आ सकते हो?”
ये सुनते ही मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। मैंने हां में सिर हिला दिया।
उसका घर
अगले दिन मैं उसके घर गया। उसके पापा बाहर गए हुए थे और मां रिश्तेदारी में।
वो घर में एक साधारण सलवार-कुर्ता पहने थी, लेकिन उसके खुले बाल और हल्का-सा गीला चेहरा बता रहा था कि वो अभी नहाकर निकली है।
हम पढ़ाई शुरू करने लगे, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था, हमारी नजदीकियां बढ़ने लगीं।
एक सवाल समझाने के बहाने उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरी सांसें तेज हो गईं।
पहला स्पर्श
मैंने हिम्मत कर के उसका हाथ थाम लिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि मेरी आंखों में देखकर मुस्कुरा दी।
मैं धीरे-धीरे उसके करीब गया और उसके गाल पर हल्का सा किस कर दिया। वो शरमा कर नजरें झुका ली।
“रोहित… अगर कोई आ गया तो?” उसने धीमे से कहा।
“कोई नहीं आएगा,” मैंने उसके बालों को सहलाते हुए जवाब दिया।
प्यार का इकरार
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया।
उसके होंठ नरम और गरम थे। किस करते-करते मेरा हाथ उसकी कमर पर चला गया।
उसका बदन हल्का-सा कांप रहा था।
धीरे-धीरे मेरे हाथ ऊपर बढ़े और उसके सीने को महसूस करने लगे। वो सिसकते हुए बोली —
“रोहित… प्लीज… आज मत रोकना…”
चुदाई का पहला लम्हा
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया, उसका कुर्ता ऊपर किया और उसकी सफेद, रसीली छाती को देखा।
मेरे होंठ उसकी गर्दन से होते हुए नीचे गए और उसकी गोल-मटोल छातियों को चूमने लगे।
वो मेरे बाल पकड़ कर कराह रही थी —
“आह… रोहित… तुम पागल कर रहे हो मुझे…”
उसका सलवार उतारते ही उसकी गुलाबी चूत मेरी आंखों के सामने थी। मैंने जीभ से वहां प्यार किया, और वो जोर-जोर से सांस लेने लगी।
“बस… अब अंदर डालो…” वो कराहते हुए बोली।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में धीरे-धीरे डाला। गर्म और टाइट जगह में जाते ही मैं खुद को खो बैठा।
वो मेरी कमर पकड़कर खुद को मेरे साथ हिलाने लगी।
“हां… रोहित… ऐसे ही… और जोर से…”
हम दोनों का पसीने से भीगा बदन, कराहों की आवाज, और कमरे में प्यार की खुशबू… वो लम्हा कभी भूलने वाला नहीं था।
अफेयर का सिलसिला
उस दिन के बाद हमारा रिश्ता बदल गया।
कॉलेज में हम बस दोस्त थे, लेकिन जैसे ही अकेले होते, हमारी नज़दीकियां बेकाबू हो जातीं।
वो मेरी बाहों में खुद को छोड़ देती और मैं उसे बार-बार अपने लंड से भर देता।
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