गर्मी की छुट्टियों में मैं अपने दादाजी के गाँव वाले घर आई थी। वहाँ का माहौल शहर से बिलकुल अलग था—खुला आँगन, बड़ी-बड़ी दीवारें और पुराना हवादार मकान। दादाजी के यहाँ कई नौकर-नौकरानियाँ भी थे, जो घर के कामकाज में लगे रहते थे।
मुझे शुरू से ही गाँव के देसी नौकरों की कसरती बॉडी और उनकी भारी लंड वाली बातें सुनकर भीतर ही भीतर गुदगुदी होती थी। पर उस दिन जो हुआ, वो मेरी जिन्दगी की पहली चुदाई का ऐसा अनुभव था, जिसे मैं कभी भूल नहीं सकती।
नौकर सुरेश की नजरें मेरी चूत पर:
दोपहर का समय था। दादाजी अपने कमरे में आराम कर रहे थे और बाकी घर खाली था। मैं आँगन में पसीने से भीगी अपनी गीली साड़ी समेट रही थी। तभी वहाँ नौकर सुरेश आ गया। वो मुझे ऊपर से नीचे तक घूरता रहा। उसकी आँखों में कुछ अलग ही आग थी।
“छोरी, ये गर्मी तुझे भी बहुत तंग कर रही है ना?” सुरेश ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने हँस कर कहा, “हाँ सुरेश भैया, पसीने से साड़ी चिपक गई है।”
पर उसकी नजरें मेरी गीली चूती साड़ी के पार मेरी उभरी हुई चूत को देख रही थी।
मेरा बदन गर्म हो रहा था और सुरेश की नजरें मेरे भीतर कुछ अजीब सा जगा रही थी।
नौकरों की योजना और मेरी पहली चुदाई:
शाम को दादाजी अपने दोस्तों के यहाँ चले गए और घर में सिर्फ मैं और दो नौकर—सुरेश और रामू थे। दोनों ने मुझे अकेला देख कर मेरे पास आकर धीरे से कहा,
“बीबीजी, आज आपको असली मजा देंगे, शहर में तो ऐसा नहीं मिलता होगा।”
मैंने हिचकिचाते हुए हाँ में सिर हिला दिया। अंदर से मैं भी आज पहली बार लंड से अपनी चूत चुदवाना चाहती थी।
सुरेश ने सबसे पहले मेरी साड़ी उतार दी। मेरे 19 साल की जवान चूत उसके सामने नंगी थी। उसने बिना देर किये मेरी चूत पर अपनी जुबान फेरना शुरू किया।
मेरे मुँह से खुद-ब-खुद सिसकारियाँ निकल रही थी, “सुरेश… ओह्ह्ह… ऐसे मत कर…!”
पर सुरेश रुकने वाला नहीं था। उसने मेरी चूत की फाँकों को चाट-चाट कर गीला कर दिया।
इतने में रामू भी पीछे से आ गया और मेरे नरम गुलाबी निपल्स को चूसने लगा।
सुरेश का लंड और मेरी फटी चूत:
सुरेश ने अपना लुंगी उठाया और उसका मोटा सा लंड बाहर निकल आया। मैंने पहली बार किसी मर्द का असली लंड देखा था—कड़क और 8 इंच लंबा।
“बीबीजी, अब आपकी चूत में इस लंड को डालूँ?” सुरेश ने पूछा।
मैंने शर्माते हुए कहा, “हाँ सुरेश, डाल दो… मेरी चूत फट रही है।”
सुरेश ने अपने लंड पर थूक लगाया और धीरे-धीरे मेरे चूत की फाँकों के बीच उसका मोटा लंड घुसा दिया।
“आह्ह्ह… सुरेश… मेरी चूत फट जाएगी!” मैंने जोर से चिल्लाया।
लेकिन सुरेश ने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी और धीरे-धीरे पूरा लंड मेरी तंग चूत में धँसा दिया।
मेरे लिए यह पहली चुदाई का अनुभव था और मुझे असली मजा आ रहा था। सुरेश के हर झटके पर मेरी चूत की दीवारें फटने जैसी लग रही थी लेकिन अंदर एक अलग ही नशा था।
रामू ने मुँह में दिया लंड:
जब सुरेश मेरी चूत में ताबड़तोड़ झटके मार रहा था, रामू ने भी अपनी लुंगी उठाई और उसका भी मोटा लंड मेरे सामने था।
“बीबीजी, अब ये मुँह में लो।” रामू ने कहा।
मैंने उसका लंड पकड़ कर मुँह में डाल लिया और धीरे-धीरे चूसने लगी।
अब मैं डबल मजा ले रही थी—सामने से सुरेश मेरा चूत चोद रहा था और मुँह में रामू का लंड घुसा हुआ था।
दोनों नौकरों के साथ तगड़ी चुदाई:
करीब 15 मिनट तक सुरेश ने मेरी चूत में तगड़े झटके मारे। उसका लंड मेरी चूत के अंदर ऐसा फँसा था कि मुझे खुद पर काबू नहीं रहा।
“सुरेश… रामू… मुझे आ रहा है… मेरी चूत में पूरा लंड डालो…!” मैं खुद चीखने लगी।
फिर रामू ने भी मुझे पलटा और पीछे से मेरी गाँड में लंड डालने की जिद की। पहले तो दर्द हुआ लेकिन फिर एक अलग मजा आने लगा।
“बीबीजी, गाँव के मजे शहर में नहीं मिलेंगे,” रामू ने कहते हुए मेरे गांड में जोर का झटका मारा।
चुदाई का आखिरी तूफान:
करीब आधे घंटे तक दोनों नौकरों ने मेरी चूत और गांड में बारी-बारी से लंड डाला।
आखिर में सुरेश ने मेरी चूत में ही सारा गाढ़ा गरम पानी (वीर्य) छोड़ दिया।
मेरी चूत लथपथ हो चुकी थी और मैं पहली बार के अनुभव से पागल हो गई थी।
रामू ने भी मेरे मुँह में लंड घुसेड़ कर सारा पानी उड़ा दिया।
मैंने दोनों नौकरों की तरफ देखा और मुस्कुराई, “आज तो तुम दोनों ने मेरी चूत की असली चुदाई कर दी।”
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