दिल्ली की आंटी की चुदाई की हॉट हिंदी कहानी: वनिता के साथ स्पर्श की रात | 18+ Adult Story : नमस्ते दोस्तो! मैं आज आपके लिए एक मसालेदार और गर्मागर्म हिंदी सेक्स कहानी लेकर आया हूँ, जो मेरे और दिल्ली की एक खूबसूरत आंटी, वनिता, के बीच की है। ये कहानी 18+ है, तो कृपया अपनी उम्र और स्थानीय नियमों की जाँच कर लें। तो चलिए, बिना देर किए, इस हॉट कहानी में गोता लगाते हैं!
स्पर्श का परिचय
मेरा नाम स्पर्श है, और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है, और मैं जिम जाता हूँ, तो बॉडी भी फिट है। मेरी छाती चौड़ी है, और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ और आंटियाँ अक्सर तारीफ कर देती हैं। मैं एक ब्लॉग चलाता हूँ, जहाँ मैं अपनी सेक्स कहानियाँ शेयर करता हूँ। मेरी कहानियाँ पढ़कर कई लोग मुझसे कनेक्ट करते हैं, और इन्हीं में से एक थी वनिता आंटी।
वनिता का ईमेल
एक दिन मेरे ब्लॉग पर एक ईमेल आया। उसमें लिखा था, “हाय स्पर्श, आपकी कहानी पढ़ी, बहुत पसंद आई। मैं आपसे मिलना चाहती हूँ। मेरा नाम वनिता है, और मैं 38 साल की हूँ।” ईमेल के साथ उसने अपना फोन नंबर भी दिया। मैंने सोचा, चलो बात करके देखते हैं।
मैंने नंबर डायल किया।
मैं: हैलो, मैं स्पर्श बोल रहा हूँ। क्या आपने मुझे ईमेल किया था?
वनिता: हाय! हाँ, मैंने ही किया। आपकी कहानी इतनी हॉट थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।
मैं: अच्छा, तो आप दिल्ली से हैं? मुझे आपका पता और समय बता दीजिए।
वनिता ने मुझे अपना पता दिया, जो दिल्ली के एक पॉश इलाके में था। उसने अगले दिन दोपहर 1 बजे का समय दिया। मैं तो मन ही मन उछल पड़ा।
वनिता से मुलाकात
अगले दिन मैं ठीक समय पर वनिता के घर पहुँचा। मैंने डोरबेल बजाई, और दरवाजा खुलते ही मेरे होश उड़ गए। सामने 38 साल की वनिता खड़ी थी, लेकिन लग रही थी 30 की। उसने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उसके गोरे बदन पर कयामत ढा रही थी। उसका फिगर 36-30-38 का होगा। उसके मम्मे साड़ी के ब्लाउज़ में तने हुए थे, और उसकी कमर का कट इतना सेक्सी कि बस देखता ही रह जाऊँ। उसने मेकअप किया था, और उसके गुलाबी होंठों से हल्की सी लिपस्टिक की चमक आ रही थी। परफ्यूम की खुशबू तो ऐसी कि मैं मदहोश हो जाऊँ।
वनिता ने मुस्कुराते हुए कहा, “अंदर आइए, स्पर्श।” मैं अंदर गया। घर में कोई नहीं था। उसने मुझे पानी का गिलास दिया, और गिलास लेते वक्त मैंने जानबूझकर उसकी उंगलियों को छू लिया। वो हल्के से शरमाई और मेरे बगल में सोफे पर बैठ गई।
वनिता: मैं तो सोच रही थी कि आप कोई बुजुर्ग होंगे, लेकिन आप तो इतने हैंडसम हैं!
मैं: (हँसते हुए) अरे, आप भी तो कम नहीं। इतनी खूबसूरत आंटी को देखकर तो मेरा दिल मचल रहा है। आपके घर में और कौन रहता है?
वनिता: बस मैं और मेरे पति। लेकिन वो अभी 2-3 दिन के लिए बाहर गए हैं। तुम जब तक चाहो, मेरे साथ वक्त बिता सकते हो।
उसकी बात सुनकर मेरा लंड पैंट में तन गया। मैं उसके करीब सरक गया और उसका हाथ पकड़ लिया। वो चुप थी, लेकिन उसकी साँसें तेज हो रही थीं।
चुदाई की शुरुआत
मैंने धीरे से उसके हाथ को सहलाना शुरू किया। फिर मेरा हाथ उसकी बाँहों, कंधों, और फिर उसके पेट पर फिसलने लगा। मैंने ब्लाउज़ के ऊपर से उसके मम्मों को हल्के से दबाया। वनिता की आँखें नशे से भारी हो गईं, और वो सिसकारी, “आह… स्पर्श…” मैं समझ गया कि वो तैयार है।
मैंने उसके ब्लाउज़ के बटन खोले और उसे उतार दिया। उसकी काली ब्रा में उसके 36D के मम्मे कैद थे। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें मसलना शुरू किया। फिर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू खींचा और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसकी गोरी जाँघें और चिकनी चूत की शेप पैंटी में साफ दिख रही थी।
वनिता भी अब गर्म हो चुकी थी। उसने मेरी शर्ट उतारी और मेरी छाती पर हाथ फेरते हुए बोली, “क्या बॉडी है तुम्हारी, स्पर्श। जिम में खूब मेहनत करते हो ना?” मैंने उसके होंठों को चूम लिया। उसने मेरी पैंट खोली, और मेरा 8 इंच का लंड देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। वो बोली, “इतना बड़ा? मेरे पति का तो आधा भी नहीं है!”
उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके कड़क निप्पलों को चूसना शुरू किया। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “उफ्फ… स्पर्श… और चूसो… आह…”
पहली चुदाई
मैंने उसकी पैंटी उतारी। उसकी चूत एकदम चिकनी थी, जैसे अभी शेव की हो। मैंने उसकी चूत को चाटा, और वो पागल सी हो गई, “आह… मेरी चूत… चाट लो इसे… उफ्फ…” मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाला। वो चिल्लाई, “धीरे… स्पर्श… फट जाएगी…” लेकिन थोड़ी देर बाद वो मज़े लेने लगी।
मैंने धक्के तेज किए। वनिता अपनी कमर हिलाकर मेरा साथ दे रही थी। वो चिल्ला रही थी, “चोदो मुझे… और जोर से… मेरी चूत की प्यास बुझा दो…” करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद वो दो बार झड़ चुकी थी। आखिरकार, मेरा माल भी उसकी चूत में निकल गया। हम दोनों थककर सोफे पर लेट गए।
मैंने कहा, “वनिता, जब तक मैं यहाँ हूँ, हम नंगे ही रहेंगे।” वो हँसी और बोली, “जो तुम कहो, मेरे राजा। आज मैं तुम्हारी बीवी हूँ।”
रसोई में मस्ती
शाम को वनिता खाना बनाने किचन में गई। वो बिल्कुल नंगी थी, और उसकी गांड का हिलना देखकर मेरा लंड फिर तन गया। मैं किचन में गया और पीछे से उसकी गांड पर लंड रगड़ने लगा। मैंने उसके मम्मों को मसला, और वो हँसते हुए बोली, “अरे, रोटी तो बनने दे!”
मैंने तेल की बोतल उठाई और उसके मम्मों पर तेल लगाकर मालिश करने लगा। उसके चूचे चमक रहे थे। फिर मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और उंगली से उसके छेद को सहलाया। वो पूरी गर्म हो गई। उसने गैस बंद की और मेरे होंठों को चूसने लगी। उसने मेरे लंड पर तेल लगाया और मालिश की। हम दोनों का बदन चिकना हो गया था।
बाथरूम में चुदाई
मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम ले गया। वहाँ हमने एक-दूसरे के बदन पर साबुन लगाया। मैंने उसके मम्मों पर साबुन रगड़ा, और वो मेरे लंड को साबुन से मालिश करने लगी। वो बोली, “तुम्हारा लंड तो फिर भूखा हो गया!” मैंने हँसकर कहा, “इसे तो तुम्हारी चूत चाहिए।”
मैंने उसे बाथरूम के फर्श पर लिटाया और उसकी चूत में लंड डाला। साबुन की वजह से लंड फिसलकर अंदर चला गया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और वो चिल्लाई, “आह… स्पर्श… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” करीब एक घंटे की चुदाई के बाद हम दोनों झड़ गए।
रात का डिनर
रात को हमने नंगे ही डिनर किया। वनिता मेरी गोद में बैठी थी, और हम एक-दूसरे को खाना खिला रहे थे। खाना खाने के बाद वो बर्तन धोने गई। उसकी नंगी गांड देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे बेडरूम में ले जाकर एक ब्लू फिल्म चलाई। हमने फिल्म की नकल करते हुए चुदाई शुरू की।
वनिता ने मेरे लंड को चूसा, और मैंने उसकी चूत में उंगली डाली। फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गई और लंड को चूत में ले लिया। वो ऊपर-नीचे हो रही थी, और मैं उसके मम्मों को दबा रहा था। फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड में लंड डाला। वो चिल्लाई, “उई… मेरी गांड… धीरे…” लेकिन जल्द ही वो मज़े लेने लगी। एक घंटे बाद हम दोनों झड़ गए और नंगे ही सो गए।
आखिरी पल
अगले दिन सुबह 10 बजे हम उठे। हमने साथ में नहाया, और वनिता ने नंगी ही नाश्ता बनाया। उसने मेरे लंड पर मक्खन लगाकर चूसा, और मैंने उसकी चूत में केला डाला। फिर हमने एक आखिरी बार चुदाई की। वो बोली, “स्पर्श, तुमने मुझे जन्नत दिखा दी। लेकिन अब हम कभी नहीं मिलेंगे।” मैंने कहा, “ठीक है, वनिता। मैं तुम्हें कभी कॉन्टैक्ट नहीं करूँगा।”
हमने आखिरी बार लिप किस किया और एक-दूसरे को गले लगाया। मैंने उसका नंबर डिलीट किया और वहाँ से चला आया।
अंत
तो दोस्तो, ये थी मेरी और दिल्ली की आंटी वनिता की चुदाई की कहानी। आपको कैसी लगी? कमेंट में बताइए, और ऐसी ही हॉट कहानियाँ पढ़ने के लिए मेरे ब्लॉग पर आते रहिए!