मैं, अमित, उम्र 24 साल का हूँ। मेरे मोहल्ले में मेरा सबसे अच्छा दोस्त सौरभ रहता था। सौरभ से मेरी दोस्ती बचपन से थी। हम दोनों एक ही स्कूल में पढ़े थे और कॉलेज तक हमारी दोस्ती वैसे ही गहरी बनी रही।
लेकिन सौरभ के घर की एक ऐसी चीज़ थी जो मुझे हर वक्त खींचती थी – उसकी छोटी बहन कृतिका। उम्र करीब 21 साल, गोरी चमड़ी, दुबली-पतली काया, चेहरे पर मासूमियत लेकिन चाल-ढाल में गज़ब का सेक्स अपील। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और होंठ ऐसे लगते थे मानो किसी को भी अपनी ओर खींच लें।
पहले तो मैं उसे सिर्फ सौरभ की बहन मानता था, लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ी होती गई, उसके शरीर के निशान बदलने लगे। उसके उभरे हुए स्तन, मस्त गोल गांड और चलते वक्त लहराती कमर मुझे पागल कर देती थी। कई बार जब मैं सौरभ के घर जाता, तो उसकी बहन हाफ पैंट और टाइट टीशर्ट में घूमती थी। उस वक्त मेरी नजरें अनजाने ही उसकी चूत की तरफ चली जाती थीं।
🔥 पहला मौका
एक दिन सौरभ अपने काम से बाहर गया था और मैं उसके घर मिलने पहुँचा। घर पर सिर्फ कृतिका थी। वो उस वक्त पीली सलवार और सफेद कुर्ती पहने थी। बाल खुले और आंखों में काजल।
मैंने हँसते हुए कहा –
“अरे भाभी जी, अकेले हो?”
वो भी हँसते हुए बोली –
“हाँ, अकेली हूँ… और भाभी जी क्यों बुला रहे हो?”
मैंने मजाक में कहा –
“क्योंकि देखने में तो तुम किसी की भाभी लग रही हो… इतनी हॉट और सेक्सी।”
मेरी ये बात सुनकर वो हल्का सा शर्मा गई। मैंने पहली बार देखा कि वो मेरे फ्लर्ट से खुश भी हुई।
उस दिन मैंने जान लिया कि इस लड़की के दिल में भी कहीं न कहीं मेरे लिए कुछ है।
🔥 धीरे-धीरे बढ़ता रोमांस
इसके बाद हमारी बातें ज़्यादा बढ़ने लगीं। सौरभ की गैरमौजूदगी में मैं उसके घर अक्सर जाता। कृतिका अब मुझसे खुलकर बातें करती, यहाँ तक कि कई बार छूने-टच करने में भी वो झिझकती नहीं।
एक दिन हम दोनों किचन में थे। मैंने मजाक करते हुए उसका हाथ पकड़ लिया। वो बस मुस्कुरा कर बोली –
“अरे छोड़ो ना, कोई देख लेगा।”
मैंने कहा –
“कोई नहीं देखेगा, और वैसे भी मुझे तुम्हें पकड़ने में बहुत मजा आता है।”
उसने धीरे से अपना हाथ छुड़ाया, लेकिन चेहरे पर मुस्कान थी। उस मुस्कान में ही उसकी राज़ी होने का इशारा था।
🔥 पहली बार चूमना
करीब एक हफ्ते बाद मौका और भी खास मिला। सौरभ अपने कॉलेज टूर पर बाहर गया था। घर पर सिर्फ कृतिका और उसकी माँ थी। माँ मंदिर गई हुई थी। मैं सीधे कृतिका के कमरे में पहुँच गया।
वो उस वक्त नीली नाइटी पहने थी। उसके स्तन इतने उभरे हुए थे कि नाइटी के ऊपर से ही साफ दिख रहे थे। मैं खुद को रोक नहीं पाया और उसके पास जाकर धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया।
कृतिका ने कहा –
“अमित, ये क्या कर रहे हो?”
मैंने उसकी आंखों में देखते हुए कहा –
“कृतिका, मैं तुम्हें बहुत दिनों से चाहता हूँ… आज रोक मतना।”
इतना कहकर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो हल्का सा पीछे हटना चाही लेकिन फिर धीरे-धीरे उसने भी अपनी आंखें बंद कर लीं। हमारी पहली किस इतनी गहरी थी कि दोनों की सांसें तेज़ हो गईं।
🔥 चूत की गर्मी का एहसास
धीरे-धीरे मैं उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा। उसके मुलायम स्तनों को पकड़ते ही वो कराह उठी –
“आह्ह… अमित, प्लीज़… ऐसे मत करो…”
लेकिन उसकी आवाज़ में ना वाला भाव नहीं था, बल्कि और ज्यादा करने की चाह थी।
मैंने उसकी नाइटी ऊपर उठाई। उसके नीचे गुलाबी पैंटी में उसकी गोल गांड मुझे पागल कर रही थी। मैंने उसके स्तनों को कसकर दबाया और होंठों से उसके गले को चूमने लगा।
कृतिका अब खुद भी बेकाबू हो चुकी थी। उसने मेरा शर्ट खोल दिया और अपने नाखूनों से मेरी पीठ को दबाने लगी।
🔥 पहली चुदाई
अब मैं पूरी तरह से मदहोश था। मैंने उसकी पैंटी नीचे खींच दी। उसकी चूत के बाल साफ शेव किए हुए थे और हल्की-सी खुशबू आ रही थी।
मैंने जीभ से उसकी चूत को चाटा।
“आह्ह्ह… ओह्ह अमित… बस्स्स…” – वो बिस्तर पर मचल उठी।
उसकी चूत से झरने जैसा रस निकलने लगा। मैंने उसकी चूत को उंगलियों से फैलाया और अपनी जीभ से गहराई तक चाटता रहा।
कृतिका जोर-जोर से कराह रही थी –
“ओह्ह… लंड डालो ना अमित… मेरी चूत फट रही है चाहत से…”
उसकी ये बातें सुनकर मेरा खड़ा हुआ लंड और भी सख्त हो गया। मैंने अपना लंड उसकी गीली चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेल दिया।
“आह्ह्ह… ओह्ह्ह… अमितttt…” – वो दर्द और मज़े से कराह उठी।
उसकी चूत टाइट थी, लेकिन मेरे लंड ने धीरे-धीरे उसे फाड़ते हुए पूरी तरह अंदर जगह बना ली।
अब मैं पूरी रफ्तार से उसकी चूत मारने लगा।
ठप्प… ठप्प… ठप्प… की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।
कृतिका भी अपनी गांड उठाकर मेरे लंड को और गहराई तक लेने लगी।
“हाँ… हाँ… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” – उसकी आवाज़ से मेरा जोश और भी बढ़ गया।
करीब आधे घंटे तक हमने अलग-अलग पोजीशन में ज़बरदस्त चुदाई की – कभी मिशनरी, कभी डॉगी स्टाइल, कभी उसने मुझे ऊपर चढ़कर काउ गर्ल पोज़ दिया।
🔥 अंत का मजा
आखिर में मैं उसके ऊपर चढ़कर उसकी चूत में पूरी ताकत से लंड मारने लगा। दोनों के शरीर से पसीना टपक रहा था, कमरा सेक्स की महक से भर चुका था।
“आह्ह्ह… अमित… निकाल दे… मेरी चूत में ही फोड़ दे…” – वो पागल होकर बोल रही थी।
मैंने आखिरी जोर लगाया और जोर से कराहा –
“आह्ह्ह…”
और अपना गरम वीर्य उसकी गहरी चूत में छोड़ दिया।
कृतिका भी चिल्ला उठी –
“आह्ह्ह… म्म्म… ओह्ह अमित, मजा आ गया…”
हम दोनों थककर बिस्तर पर लुढ़क गए।
🔥 बाद में
उस दिन के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। अब मैं सिर्फ उसका भाई का दोस्त नहीं था, बल्कि उसका छुपा प्रेमी और सेक्स पार्टनर बन चुका था।
हर मौका मिलने पर हम दोनों चुपके-चुपके मिलकर चुदाई का मजा लेते। कृतिका सच में चुदक्कड़ निकली। उसकी चूत की भूख इतनी ज्यादा थी कि वो हर बार मुझे नया मजा देती थी।
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