मैं अमित हूँ, 22 साल का कॉलेज स्टूडेंट। ये किस्सा है मेरे दोस्त राहुल की दीदी पूनम दीदी के साथ हुई चुदाई का, जो आज भी याद करके मेरे लंड में खून दौड़ने लगता है।
राहुल मेरा बचपन का दोस्त है। हम दोनों एक-दूसरे के घर अक्सर आते-जाते रहते थे। उसकी दीदी पूनम दीदी मुझसे 4 साल बड़ी थी, लेकिन उनकी आँखों में एक अलग ही शरारत रहती थी। गोरी-चिट्टी, 36-28-36 फिगर वाली दीदी जब भी मुझसे मुस्कुराकर बात करती, मेरे मन में चुदाई के ख्याल आने लगते।
पहली नजर का असर
एक दिन राहुल कहीं बाहर गया था और मैं उसके घर नोट्स लेने गया। घर पर सिर्फ पूनम दीदी थी। दीदी ने मुझे देखते ही कहा – “आ गया तू? चल अंदर आ, चाय बना देती हूँ।” मैं अंदर गया तो दीदी ने टाइट सलवार सूट पहन रखा था, जिसकी चुन्नी भी ढंग से नहीं थी। उनके भारी-भारी उभरे हुए स्तन देखकर मेरे लंड में तुरंत जान आ गई।
दीदी चाय बनाते-बनाते झुक रही थी और मैं उनकी गोल-मटोल गांड पर नजरें गड़ाए बैठा था। दीदी ने मेरी नजरों को पकड़ लिया और हँस कर बोली – “क्या देख रहा है बदमाश?” मैं शर्मा कर नजरें फेर लीं, लेकिन मन में तो लंड फड़क रहा था।
मौके पर चौका
चाय पीते-पीते दीदी ने अचानक कहा – “अकेला है ना घर पर? डर तो नहीं लग रहा?” मैंने भी थोड़ा हिम्मत जुटाकर कह दिया – “डर तो मुझे आपकी खूबसूरती से लगता है दीदी।” दीदी हँसी और बोली – “अच्छा… तो ऐसा है मामला?”
तभी बिजली चली गई और घर में अंधेरा हो गया। दीदी ने मुझसे कहा – “अरे अमित, चल ऊपर वाले कमरे में चलते हैं, वहाँ थोड़ी हवा आएगी।” मैं दीदी के पीछे-पीछे ऊपर गया। जैसे ही कमरे में पहुँचे, दीदी ने दरवाजा बंद कर दिया और मेरी ओर देखते हुए बोली – “आज तो तुझे मौका मिल गया है मुझे डराने का… या खुद डरने का?”
मैंने एक पल भी नहीं गँवाया और दीदी की कमर पकड़कर उन्हें अपनी ओर खींच लिया। दीदी ने हल्का सा विरोध किया पर उनकी आँखों में भी वही आग थी। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों की साँसे तेज हो गईं।
चूत में लंड डाल कर पहली बार का मजा
धीरे-धीरे मैंने दीदी के कुर्ते की बटन खोलनी शुरू कर दी। उनकी गोरी और भारी छातियों को देखकर मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया। मैंने दीदी की चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। दीदी भी मेरे बाल पकड़कर अपनी चूचियाँ मुँह में देने लगीं।
मैंने दीदी की सलवार खींचकर नीचे गिरा दी और उनकी चूत पर नजर पड़ी। हल्के बालों से ढकी उनकी गीली चूत देखकर मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया। मैंने अपनी पैंट उतारी और दीदी की चूत पर लंड रखकर धीरे-धीरे अंदर डाल दिया। दीदी के मुँह से हल्की चीख निकली – “आह अमित… धीरे कर…”
लेकिन मेरा लंड दीदी की गर्म और गीली चूत में एक बार घुस गया तो मैं रुकने वाला नहीं था। मैंने दीदी की टाँगें पकड़कर उन्हें पूरी तरह बिस्तर पर फैला दिया और जोर-जोर से ठोकने लगा। दीदी की चूत से चिक-चिक की आवाज आ रही थी और दीदी खुद भी अपनी गांड ऊपर-नीचे कर रही थीं।
दीदी की मज़ेदार चुदाई
लगभग 10 मिनट तक मैं दीदी की चूत में लंड डाल कर मस्त ठोकाई करता रहा। दीदी की साँसे फूली हुई थीं और वो बार-बार कह रही थी – “अमित आज तो तूने मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दी।” आखिरी में मैंने दीदी की चूत में ही अपनी मट्टी छोड़ दी और दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गए।
उस दिन के बाद दीदी जब भी अकेली होती, मुझे बुला लेती और अपनी चूत में मेरे लंड का स्वाद लेती।
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