मेरी कजिन बहन नेहा बचपन से ही मेरे दिल के बहुत करीब रही है। हमारी उम्र में बस 2 साल का फर्क था। नेहा बेहद खूबसूरत थी — गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, और उस पर उसकी उठती हुई जवानी जो हर किसी को दीवाना बना दे। मैं अक्सर उसे देखता तो मेरा लंड अपने आप खड़ा हो जाता था।
ये किस्सा तब का है जब नेहा हमारी फैमिली के साथ गर्मियों की छुट्टियों में हमारे गांव आई थी। गर्मी का मौसम, खुला माहौल, और नेहा के बदन से आती उस चूत की भीनी भीनी खुशबू ने मुझे पागल कर दिया था।
नेहा की टाइट चूत का जलवा
एक दिन दोपहर में सब लोग सो रहे थे और नेहा अपने कमरे में अकेली थी। मैं चुपचाप उसके कमरे की तरफ गया। दरवाजा हल्का सा खुला था। नेहा पलंग पर लेटी थी, छोटी सी नाइटी पहनी हुई, जिसमें से उसके चूचियां झाँक रही थीं। उसके गोरे जांघों के बीच उसकी गुलाबी चूत की लकीर साफ नजर आ रही थी।
मेरा लंड तो अपनी हदें पार कर चुका था। मैं खुद को रोक नहीं पाया और दरवाजा धीरे से खोलकर उसके पास चला गया।
“नेहा…” मैंने उसकी नाइटी के नीचे हाथ घुसाते हुए फुसफुसाया।
वो एकदम चौंक गई, लेकिन जब उसने देखा कि मैं हूं, तो मुस्कुराकर बोली, “क्या कर रहे हो पागल? कोई देख लेगा।”
मैंने कहा, “मुझे अपनी चूत चाटने दो, नेहा। तुझसे खुद को रोक नहीं पा रहा।”
वो शर्मा गई, मगर उसकी आँखों में भी वही आग थी जो मेरे अंदर थी। उसने धीरे से अपनी टांगें फैला दीं और मैं उसके चूत के पास झुक गया।
चूत चाटने का पहला स्वाद
नेहा की चूत से हल्की-हल्की गरमी और मादक गंध आ रही थी। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत की लकीर पर हल्का सा चाटा तो वो मुँह दबा कर सिसक उठी।
“आह्ह्ह… धीरे कर ना पागल…” उसने मेरे बालों में उंगलियाँ फँसाकर कहा।
मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत के होठों को चाटते-चाटते उसकी भगनासा पर दबाव डाला। उसकी रग-रग में एक झटका सा दौड़ गया। नेहा की साँसे तेज हो गईं और वो अपनी कमर उठाकर मेरे चेहरे पर चूत रगड़ने लगी।
“भैया… तुम बहुत गंदे हो…” उसने मुँह से कहा पर उसकी चूत की गर्मी उसके असली इरादे बता रही थी।
लंड डालने का वो पहला पल
मैंने नेहा की नाइटी पूरी उतार दी। उसके गोल-मटोल चूचियां मेरे सामने लहरा रही थीं। मैं खुद को रोक नहीं पाया और नेहा के ऊपर चढ़कर उसके निपल्स को चूसने लगा। वो मुँह में उंगलियाँ दबाकर सिसकारियाँ भर रही थी।
अब मेरा लंड फूला हुआ था और नेहा की चूत गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लंड की मुँह नेहा की चूत के पास लगाया और हल्के से धकेल दिया।
“आह्ह्ह… भैया धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…” नेहा ने मुँह दबाकर कहा।
लेकिन चूत की भीगन और लंड की सख्ती के आगे नेहा की ये रोक ज्यादा देर टिक नहीं पाई। मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर घुसाया और उसकी चूत की गर्मी ने मेरे लंड को जकड़ लिया।
धुआंधार चुदाई का असली मजा
अब मैं रुकने वाला नहीं था। मैंने नेहा की टांगें अपने कंधों पर रख लीं और जोर-जोर से उसके अंदर लंड मारना शुरू कर दिया।
“धप्प… धप्प… धप्प…” की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं। नेहा की चूत से गीलेपन की आवाजें आ रही थीं और वो अपनी कमर उचकाकर मेरी हर थ्रस्ट का जवाब दे रही थी।
“भैया… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…!” नेहा ने पहली बार खुद मुँह खोलकर कहा।
उसकी बात सुनकर मेरा जोश सातवें आसमान पर पहुँच गया। मैंने उसके बाल पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी चूत में और गहराई तक लंड डाल दिया।
अब मैं उसे जितना तेजी से चोदता, वो उतनी ही जोर से सिसकियाँ भरती, “हाँ…हाँ… भैया… आह्ह्ह… मेरी चूत जल रही है…”
चुदाई का क्लाइमेक्स
करीब 15 मिनट की लगातार धुआंधार चुदाई के बाद नेहा का बदन काँपने लगा। उसकी चूत अंदर ही अंदर कसने लगी। वो अपने नाखूनों से मेरी पीठ को नोचते हुए चिल्लाई, “भैया… आह्ह्ह… मेरी चूत में पानी आ रहा है…!!”
नेहा के साथ-साथ मैं भी अपने लंड की धार रोक नहीं पाया और उसकी चूत के अंदर ही गरम-गरम वीर्य छोड़ दिया।
हम दोनों पसीने से तरबतर होकर एक-दूसरे के गले लग गए। नेहा की चूत से मेरा लंड अभी भी हौले-हौले बाहर-भीतर हो रहा था। उसकी आँखों में सुकून था और चेहरे पर तृप्ति।
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