कुंवारी पड़ोसन लड़की मुझसे चुद गई पहली बार

यह कहानी है मेरी पड़ोसन प्रीति की, जो अभी 19 साल की कुंवारी लड़की थी। उसकी गोरी-नरम चमड़ी, उभरी छातियाँ और चुटीली मुस्कान ने मुझे हमेशा से दीवाना बना रखा था।
मैं 28 साल का जवान लड़का था, और उसकी मासूमियत के पीछे छुपी चूत की आग को मैं रोज महसूस करता था।

वो अक्सर अपने बालों में गीला तौलिया लपेटकर छत पर आती थी। उस दिन भी प्रीति ने नीले रंग की सलवार पहन रखी थी, जिसकी चुन्नी गायब थी और उसकी गोल-गोल स्तन की चोटियाँ साफ़ दिख रही थीं।

हली बार आँखों-ही-आँखों में इशारा:

प्रीति ने मुझसे मुस्कुराकर कहा, “भैया, गर्मी बहुत है ना!”
मैंने भी मस्ती में जवाब दिया, “तू ऐसी नजरें मारेगी तो पसीना और बढ़ जाएगा।”

वो झेंप कर हँसी, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी।
मैंने धीरे से पूछा, “कभी लंड देखा है पास से?”
वो शर्माते हुए बोली, “नहीं भैया… पर देखना चाहती हूँ।”

उस दिन मैंने सोच लिया कि अब इसे अपनी लंड की सवारी करानी ही पड़ेगी।

अकेले में चांस मिल गया:

एक दिन उसके घर वाले शादी में बाहर गए हुए थे और प्रीति अकेली थी।
उसने मुझे बुलाकर कहा, “भैया, टीवी बंद नहीं हो रहा, जरा देख दो।”
असल में टीवी तो बस बहाना था, उसकी आँखें खुद ब खुद मुझसे चुदने की इजाजत दे रही थीं।

मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया और धीरे-धीरे उसके पास जाकर कहा,
“आज तुझे असली मर्द का लंड दिखाऊँ प्रीति।”

वो हिचकिचाई पर मुँह से ना नहीं बोली।
मैंने उसका दुपट्टा हटाया और उसके गोल-मटोल उभरे हुए स्तनों को पकड़ लिया।
उसके मुँह से आह्ह्ह… की आवाज निकली।

प्रीति की चूत पर पहली बार जुबान फेरी:

मैंने उसकी सलवार उतारी और उसके गुलाबी रंग की चड्डी में छुपी चूत साफ़ दिखाई दी।
मैंने चड्डी खींच कर उतार दी और उसके चूत की फाँकों पर अपनी जुबान फेरना शुरू किया।
प्रीति का पूरा बदन काँपने लगा, “भैया… ओह्ह्ह… ऐसा मत कर…!” लेकिन उसकी चूत खुद-ब-खुद गीली हो रही थी।

मैंने उसकी चूत के अंदर अपनी जुबान डाल दी और उसे पूरा गीला कर दिया।
प्रीति अब बेकाबू हो रही थी, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं, “भैया… मेरी चूत में कुछ डालो ना…!”

पहली बार लंड से उसकी चूत भरी:

मैंने अपने पायजामा से लंड निकाल कर प्रीति को दिखाया।
उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, “इतना बड़ा… भैया ये मेरी चूत में कैसे आएगा?”

मैंने कहा, “धीरे-धीरे सब हो जाएगा प्रीति।”
मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत की फाँकों के बीच रगड़ना शुरू किया।

धीरे-धीरे मैंने अपना लंड उसकी तंग और कुंवारी चूत में घुसा दिया।
“भैया… ओह्ह… मेरी चूत फट रही है…!”
पर मैं रुका नहीं। धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया।

झटकों की शुरुआत:

अब मैं ताबड़तोड़ झटके मारने लगा।
प्रीति के मुँह से चीखें निकल रहीं थीं, “भैया… मेरी चूत फट जाएगी… ओह्ह… पर मजा आ रहा है…!”
उसके नाखून मेरी पीठ में गड़ गए थे, पर मैं और तेज झटके मार रहा था।

प्रीति के स्तन उछल-उछल कर मेरे सीने से टकरा रहे थे।
मैंने उसे गोद में उठाकर दीवार से टिका दिया और लंड को पूरी ताकत से चूत में डालने लगा।
“भैया… आज तो आप मुझे रंडी बना देंगे…!” वो खुद बोलने लगी थी।

प्रीति ने खुद मुझ पर चढ़ कर चुदाई करवाई:

मैंने प्रीति को पलंग पर लिटाया, लेकिन उसने खुद मुझे धक्का देकर नीचे गिरा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई।
उसने अपने हाथों से लंड पकड़ कर चूत में घुसाया और खुद झटके मारने लगी।

“अब मैं आपको चोदूँगी भैया…” उसकी आवाज में एक अलग ही मस्ती थी।
उसकी चूत की पकड़ इतनी टाइट थी कि मुझे खुद पर काबू नहीं रहा।
प्रीति के झटके अब और तेज हो गए थे, और वो पूरी ताकत से मेरी लंड की सवारी कर रही थी।

चुदाई का क्लाइमेक्स और प्रीति की पहली बार फूटती चूत:

करीब 25 मिनट की चुदाई के बाद मैंने प्रीति को पलटा और पीछे से उसकी गाँड पकड़ कर जोर-जोर से झटके मारने लगा।
प्रीति चिल्ला रही थी, “भैया… मेरी चूत में सारा लंड डाल दो… मुझे बहुत मजा आ रहा है…!”

आखिर में मैंने जोर से झटका मारा और अपना गाढ़ा वीर्य (पानी) उसकी चूत के अंदर छोड़ दिया।
प्रीति थक कर मेरे सीने पर गिर पड़ी। उसकी कुंवारी चूत आज मुझसे पहली बार फटी थी, और उसका बदन प्यार से थक चुका था।

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