रीवा, एक छोटा-सा कस्बा, जहां सुबह की धूप में गलियों की रौनक और शाम को छतों पर पड़ोसियों की बातें गूंजती थीं। यहीं रहती थी अनन्या, 20 साल की एक भोली और खूबसूरत लड़की, जो हाल ही में अपने कॉलेज की पढ़ाई के लिए इस कस्बे में आई थी। अनन्या अपने परिवार से दूर, एक किराए के मकान में रहती थी। उसका चेहरा मासूम था, लेकिन उसकी आंखों में एक अनजानी चाहत की चमक थी। वह कॉलेज में अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश में जुटी थी, लेकिन उसकी ज़िंदगी में एक नया मोड़ आने वाला था।
अनन्या का मकान मालिक था रवि, 35 साल का एक तंदुरुस्त और आकर्षक आदमी। रवि अपने परिवार के साथ मकान के ऊपरी हिस्से में रहता था, जबकि अनन्या नीचे के एक छोटे-से हिस्से में। रवि की पत्नी और बच्चे ज्यादातर समय अपने गांव में रहते थे, जिसके चलते वह अक्सर अकेला रहता था। रवि का स्वभाव दोस्ताना था, और वह अनन्या से हमेशा हंसी-मजाक करता था। अनन्या को उसकी बातें और उसकी गहरी आवाज़ में एक अजीब-सी खिंचाव महसूस होता था, लेकिन वह अपनी भावनाओं को दबा देती थी।
एक दिन, अनन्या की रसोई का नल टपकने लगा। उसने रवि को फोन किया और मदद मांगी। रवि तुरंत नीचे आया और नल ठीक करने में जुट गया। काम करते हुए उसने अनन्या की ओर देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “अनन्या, तुम तो दिन-ब-दिन और खूबसूरत होती जा रही हो।” अनन्या ने शरमाते हुए जवाब दिया, “रवि जी, आप भी ना… बस तारीफ ही करते रहते हैं।” रवि ने हंसते हुए कहा, “तारीफ तो बनती है। तुम जैसी लड़की को देखकर कौन तारीफ न करे?” अनन्या का चेहरा लाल हो गया, लेकिन उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
उस रात, जब अनन्या अपने कमरे में अकेली थी, रवि ने फिर से दरवाजा खटखटाया। “अनन्या, मैं बस ये चेक करने आया कि नल ठीक काम कर रहा है या नहीं,” उसने कहा। अनन्या ने उसे अंदर बुलाया। रवि अंदर आया और चारों ओर नजर दौड़ाई। कमरे में हल्की रोशनी थी, और बाहर बारिश की बूंदों की आवाज़ गूंज रही थी। अनन्या ने रवि को चाय ऑफर की, और दोनों बैठकर बातें करने लगे।
बातों-बातों में रवि ने कहा, “अनन्या, तुम इतनी जवान और खूबसूरत हो। कभी किसी के साथ करीब आई हो?” अनन्या ने शरमाते हुए कहा, “नहीं, रवि जी… मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा।” रवि ने उसकी आंखों में देखा और धीरे से बोला, “तुम्हारी आंखें कुछ और कह रही हैं, अनन्या। मुझे लगता है, तुम भी वो अनुभव जीना चाहती हो, जो ज़िंदगी को और रंगीन बनाए।” अनन्या का गला सूख रहा था। उसने नजरें नीचे कर लीं, लेकिन रवि की बातें उसके दिल को छू रही थीं।
रवि धीरे-धीरे अनन्या के करीब आया। उसकी गर्म सांसें अनन्या के चेहरे को छू रही थीं। “अनन्या, मैं तुम्हें कोई तकलीफ नहीं दूंगा। लेकिन मैं चाहता हूं कि हम एक-दूसरे के और करीब आएं,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। अनन्या का मन डोल रहा था। वह जानती थी कि यह गलत हो सकता है, लेकिन रवि की गहरी आवाज़ और उसका स्पर्श उसे रोक नहीं पा रहा था। उसने हल्के से सिर हिलाया, और रवि ने उसे अपनी बाहों में ले लिया।
रवि ने अनन्या की सलवार का नाड़ा खोला और धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाया। अनन्या की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं। “रवि जी, मुझे डर लग रहा है… ये मेरा पहली बार है,” उसने शरमाते हुए कहा। रवि ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “तुम चिंता मत करो, अनन्या। मैं तुम्हारी सीलपैक चूत को प्यार से खोलूंगा।” उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका सख्त लंड अनन्या की आंखों के सामने था। अनन्या ने शरमाते हुए उसकी ओर देखा और कहा, “रवि जी, धीरे करना… मैंने कभी ऐसा नहीं किया।”
रवि ने अनन्या को बिस्तर पर लिटाया और धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाया। अनन्या की सिसकारियां तेज होती गईं। उसने रवि के लंड को अपने हाथों में लिया और उसे धीरे-धीरे सहलाया। “रवि जी, मुझे तुम्हारा लंड चाहिए,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। रवि ने अनन्या को अपनी गोद में बिठाया और धीरे-धीरे अपनी चूत को उसके लंड पर टिकाया। अनन्या ने हल्के-हल्के कूदना शुरू किया, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां तेज होती गईं। “हां, रवि जी… और… और तेज़,” वह बार-बार कह रही थी।
रवि ने अनन्या को अपनी बाहों में जकड़ रखा था। उसका लंड अनन्या की सीलपैक चूत की गहराइयों में खो गया था। अनन्या ने मकान मालिक से अपनी चूत की सील तुड़वा ली थी, और वह हर पल में खो गई थी। रवि ने उसे हर पल सावधानी और प्यार से संभाला। उसकी चूत का उद्घाटन एक ऐसे अनुभव में बदल गया, जो दोनों के लिए अविस्मरणीय था। अनन्या रवि के लंड पर कूद रही थी, और हर धक्के के साथ उनका जुनून बढ़ता जा रहा था। “अनन्या, तुम्हारी चूत इतनी टाइट है… मैं पागल हो जाऊंगा,” रवि ने सिसकारते हुए कहा। अनन्या ने अपनी आंखें बंद कर लीं और बस उस पल में डूब गई।
उस रात, बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच, अनन्या और रवि ने एक-दूसरे को पूरी तरह समर्पित कर दिया। यह अनन्या की पहली चुदाई थी, और उसमें डर, उत्साह, और जुनून का मिश्रण था। सुबह होने से पहले, रवि ने अनन्या को गले लगाया और कहा, “अनन्या, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” अनन्या ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हां, रवि जी… लेकिन तुमने मुझे ऐसा अनुभव दिया, जो मैं कभी नहीं भूलूंगी।”
अगले दिन, अनन्या और रवि अपनी-अपनी जिंदगी में वापस लौट गए। अनन्या कॉलेज जाती रही, और रवि अपने परिवार और दुकान में व्यस्त हो गया। दोनों की मुलाकातें अब भी होती थीं, लेकिन उस रात की बात कभी सामने नहीं आई। अनन्या के मन में रवि के लिए एक अजीब-सी चाहत थी, लेकिन वह जानती थी कि यह रिश्ता सिर्फ उन पलों तक सीमित था। रवि भी अनन्या को देखकर मुस्कुराता, लेकिन दोनों ने अपने दिल में उस रात को एक खूबसूरत याद के रूप में संजो लिया।
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