मेरा नाम है प्रिया, और मैं 26 साल की एक स्वतंत्र और आत्मविश्वासी लड़की हूँ। मैं कानपुर के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में रहती हूँ, जहाँ की गलियों में पुराने घरों की खूबसूरती और चाय की दुकानों की गपशप आज भी जिंदा है। मैं एक ग्राफिक डिज़ाइनर हूँ और अपने काम में पूरी तरह डूबी रहती हूँ। मेरी ज़िंदगी में दोस्त, परिवार, और मेरा काम ही सब कुछ था, लेकिन पिछले साल एक ऐसी घटना घटी, जिसने मेरे दिल और दिमाग को पूरी तरह बदल दिया। यह कहानी मेरी और मेरी मौसी की बेटी, अनन्या, की है। यह मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत और जुनूनी अनुभव है, जिसे मैं आपके साथ पूरी ईमानदारी से साझा कर रही हूँ।
अनन्या, 22 साल की, मेरी मौसी की बेटी थी, जो दिल्ली में फैशन डिज़ाइनिंग की पढ़ाई करती थी। वह हर गर्मियों की छुट्टियों में हमारे घर कुछ हफ्तों के लिए आती थी। अनन्या का चेहरा मासूम था, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी, जो मेरे दिल को हर बार बेचैन कर देती थी। उसका स्लिम फिगर, लंबे बाल, और टाइट जींस में उसका बिंदास अंदाज़ मुझे हमेशा अपनी ओर खींचता था। हम दोनों बचपन से करीब थे, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े हुए, मेरे मन में उसके लिए कुछ अलग-सी भावनाएँ जागने लगीं। मैं जानती थी कि यह समाज के हिसाब से गलत हो सकता है, लेकिन मेरे दिल को कौन समझाए?
पिछले साल की गर्मियों की बात है। मेरे माता-पिता को एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए कुछ दिनों के लिए बाहर जाना था। घर में सिर्फ मैं और अनन्या रह गए। एक शाम, हम दोनों छत पर बैठे थे। आसमान में सितारे चमक रहे थे, और हल्की ठंडी हवा चल रही थी। अनन्या अपनी टाइट टी-शर्ट और शॉर्ट्स में मेरे पास बैठी थी, और उसका इत्र मेरे होश उड़ा रहा था। “प्रिया दी, तुम इतनी कूल कैसे हो?” उसने हंसते हुए कहा। मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अरे, अनन्या, तुम तो मुझसे भी कूल हो। दिल्ली की ज़िंदगी ने तुम्हें एकदम बिंदास बना दिया है!”
उसकी हंसी में एक अजीब-सी मिठास थी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “अनन्या, सच बताओ, तुम्हें कोई पसंद है?” उसने शरमाते हुए कहा, “प्रिया दी, पसंद तो है, लेकिन… मैं किसी को बताती नहीं।” उसकी आँखों में एक रहस्य था, जो मुझे और उत्सुक कर रहा था। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “अनन्या, तुम मुझे तो बता सकती हो। मैं तुम्हारी दी हूँ।” उसने मेरी ओर देखा और धीरे से बोली, “दी, अगर मैं कहूँ कि मुझे लड़कियाँ पसंद हैं, तो तुम क्या सोचोगी?”
उसके शब्दों ने मेरे दिल की धड़कनें तेज़ कर दीं। मैंने धीरे से कहा, “अनन्या, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। प्यार तो प्यार है।” उसकी आँखों में एक चमक थी, और उसने मेरे और करीब आते हुए कहा, “दी, तुम्हें पता है, मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ।” यह सुनकर मेरा दिल जैसे रुक सा गया। मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “अनन्या, मैं भी तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ।”
उस रात, हम दोनों मेरे कमरे में चले गए। बाहर बारिश शुरू हो गई थी, और उसकी बूंदों की आवाज़ ने माहौल को और रोमांटिक बना दिया। मैंने अनन्या को अपनी बाहों में लिया, और उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। “दी, मैंने कभी किसी को इतना करीब नहीं आने दिया,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा और धीरे से कहा, “अनन्या, आज मैं तुम्हें वो सुख दूँगी, जो तुमने पहले कभी नहीं महसूस किया।”
मैंने धीरे-धीरे उसकी टी-शर्ट उतारी, और उसका गोरा बदन मेरे सामने था। उसकी चूत को मैंने प्यार से सहलाया, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। “दी, ये… इतना अच्छा लग रहा है,” उसने सिसकारते हुए कहा। मैंने उसकी शॉर्ट्स उतारी और उसकी चूत को और करीब से महसूस किया। उसकी सीलपैक चूत मेरे स्पर्श से गीली हो रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और धीरे-धीरे उसकी चूत को चूमा। उसकी सिसकारियाँ तेज़ होती गईं, और उसने मेरे बालों को पकड़ लिया। “हाँ, दी… और… और करो,” वह बार-बार कह रही थी।
मैंने उसकी वासना को और भड़काया, और मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की गहराइयों में खो गईं। अनन्या पूरी तरह मेरे साथ थी, और हम दोनों एक-दूसरे में डूब गए। उसकी चूत इतनी गर्म और टाइट थी कि मैं पागल हो रही थी। “प्रिया दी, तुमने मेरे अंदर की आग जगा दी,” उसने सिसकारते हुए कहा। मैंने उसकी बातों को सुनकर और जोश में आ गई, और हम दोनों उस रात एक-दूसरे की हो गईं। हमारी चुदाई में कोई लंड नहीं था, लेकिन हमने एक-दूसरे के स्पर्श और जुनून से वह सुख महसूस किया, जो शब्दों में बयान नहीं हो सकता।
उस रात, बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच, मैंने और अनन्या ने अपने लेस्बियन संबंध का सुख पहली बार महसूस किया। यह हम दोनों का पहली बार था, और हमने उस पल को पूरी तरह जी लिया। सुबह होने से पहले, अनन्या ने मुझे गले लगाया और कहा, “दी, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, अनन्या… ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल है।”
अगले दिन, अनन्या दिल्ली वापस चली गई। मेरे माता-पिता वापस आए, और ज़िंदगी फिर से सामान्य हो गई। लेकिन मेरे मन में उस रात की यादें हमेशा के लिए बस गईं। अनन्या से मेरी बातें अब भी होती हैं, लेकिन उस रात की बात कभी सामने नहीं आई। मेरे दिल में उसके लिए एक अजीब-सी चाहत है, लेकिन मैं जानती हूँ कि यह रिश्ता सिर्फ उन पलों तक सीमित था।
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