जब हम अपने पुराने मोहल्ले से निकलकर इस नई कॉलोनी में आए थे, तो मुझे लगा यहाँ बस पढ़े-लिखे, शांत लोग होंगे। लेकिन मुझे क्या पता था कि यहाँ मेरी ज़िंदगी का सबसे गरम और यादगार अनुभव होने वाला है।
हमारा नया घर कॉलोनी के कोने में था, और सामने वाले मकान में जो लोग रहते थे, उनमें सबसे ज़्यादा ध्यान खींचने वाली थी पूजा भाभी। उम्र लगभग 27–28 साल, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, और सबसे ख़ास उनकी गोल-गोल भारी चूचियाँ, जो हर बार देखकर दिल में कुछ-कुछ कर देतीं।
शुरुआत में तो बस “नमस्ते-नमस्ते” तक ही बात होती थी, लेकिन एक महीने बाद हालात कुछ बदलने लगे। भाभी अक्सर मेरी मम्मी से सब्ज़ी या चीनी लेने आतीं, और जब भी मैं दरवाज़ा खोलता, उनकी आँखें कुछ पल ज़्यादा ही रुक जातीं।
पहली बार पास आने का मौका
एक दिन दोपहर में घर पर मैं अकेला था। मम्मी-पापा किसी शादी में गए थे। तभी दरवाज़े की घंटी बजी। खोलते ही देखा, सामने पूजा भाभी खड़ी थीं। उन्होंने हल्की गुलाबी साड़ी पहनी हुई थी, और ब्लाउज का गला इतना डीप कि उनकी सफेद-गोल छाती झलक रही थी।
“अरे, भैया… ज़रा स्क्रू ड्राइवर है क्या? मेरा किचन का हैंडल ढीला हो गया है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने कहा, “हाँ-हाँ, है… लाता हूँ।”
जैसे ही मैं स्टोर में गया, भाभी भी अंदर आ गईं। उनकी खुशबू इतनी ताज़ा थी कि दिल धड़कने लगा।
स्पर्श की पहली चिंगारी
मैंने स्क्रू ड्राइवर दिया, लेकिन उन्होंने कहा, “भैया, ज़रा साथ चलो ना… मुझे पता नहीं कैसे कसना है।”
मैं उनके घर गया। वहाँ कोई नहीं था।
जैसे ही मैं हैंडल कसने झुका, भाभी पास आकर खड़ी हो गईं। उनकी साड़ी का पल्लू मेरी पीठ को छू रहा था। दिल और तेज़ धड़कने लगा।
अचानक उनका हाथ मेरे कंधे पर आया, और उन्होंने धीमे से कहा, “आप तो बहुत स्मार्ट हो… मोहल्ले में सब लड़कियाँ आप पर फ़िदा हो जाएँगी।”
मैंने उनकी आँखों में देखा, और उस पल लगा कि अब दूरी रखना नामुमकिन है।
प्यार की शुरुआत
अगले हफ़्ते, भाभी ने मुझे चाय पर बुलाया। मैं गया तो उन्होंने घर का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया।
“डरिए मत… बस बातें करनी हैं,” उन्होंने हँसते हुए कहा, लेकिन उनकी आँखों में कुछ और था।
हम सोफ़े पर बैठे थे। बातों-बातों में उनका हाथ मेरे हाथ पर आ गया। फिर मेरी जाँघ पर। मैं बस चुपचाप उनकी आँखों में देख रहा था।
अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपनी कमर पर रख दिया। उनकी कमर इतनी पतली और गरम थी कि मैंने हल्के से दबा दिया।
पहली बार होंठों का स्वाद
भाभी ने मेरे गाल पर हल्की किस की, और फिर मेरे होंठों पर। मेरा दिल जैसे फटने वाला था। हमने कई मिनट तक गहरी चुम्बनबाज़ी की। उनकी जीभ मेरे मुँह में खेल रही थी, और मेरे हाथ उनकी पीठ से होते हुए उनकी भरी हुई चूचियों तक पहुँच गए।
भाभी ने कराहते हुए कहा, “जोर से दबाओ… बहुत दिनों से किसी ने छुआ नहीं।”
मैंने उनकी चूचियाँ पकड़कर हल्के-हल्के मसलना शुरू किया। ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी निप्पल सख़्त हो गई थी।
कपड़े हटने लगे
अब भाभी खुद को रोक नहीं पा रही थीं। उन्होंने अपना पल्लू हटाया, और मैं हैरान था — उनकी चूचियाँ बिना ब्रा के थीं। गोरी, नरम और इतनी बड़ी कि मेरे दोनों हाथ भी छोटे पड़ जाएँ।
मैंने झुककर उनकी चूची को मुँह में लिया, और ज़ोर से चूसना शुरू किया। भाभी बार-बार कराह रही थीं — “आह्ह… और जोर से… मेरे निप्पल चूसो।”
उनका पेट, उनकी कमर, सब मैंने चूम लिया। अब उन्होंने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया।
“इतना मोटा… मुझसे संभल पाएगा?” उन्होंने मुस्कुराकर कहा और धीरे-धीरे उसे हाथ में सहलाने लगीं।
चूत का स्वाद
भाभी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थीं। उन्होंने अपनी साड़ी नीचे गिरा दी। सामने उनकी बालों वाली गुलाबी चूत थी, जो पूरी भीग चुकी थी।
मैं नीचे झुक गया और अपनी जीभ से उनकी चूत चाटने लगा। भाभी पागल होकर मेरे बाल पकड़ने लगीं।
“ओह्ह… जानू… ऐसे… और अंदर डालो जीभ… आह्ह्ह…”
उनका स्वाद मीठा और गरम था। मैं उनकी चूत के होठों को चूमते और चाटते रहा, जब तक उनकी साँसें तेज़ नहीं हो गईं।
पहली बार लंड अंदर
भाभी अब खुद मेरे ऊपर बैठ गईं। उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत के पास लगाया और धीरे-धीरे अंदर लिया।
“आह्ह्ह… ओह्ह… कितना बड़ा है…” उनकी कराह कमरे में गूंजने लगी।
मैंने उनकी कमर पकड़कर उन्हें ऊपर-नीचे हिलाना शुरू किया। भाभी की चूत इतनी टाइट और गरम थी कि मैं पागल हो रहा था।
हर धक्के पर उनकी चूचियाँ हिल रही थीं, और मैं उन्हें मुँह में लेकर चूस रहा था। भाभी बार-बार कह रही थीं — “और जोर से मारो… मुझे फाड़ दो…”
चरम सुख
करीब 15 मिनट तक हमने बिना रुके चुदाई की। भाभी अब पूरी तरह पसीने से भीग गई थीं, और उनकी चूत से चिपचिपा रस निकल रहा था।
मैंने आखिरी कुछ धक्के बहुत जोर से मारे और फिर उनका मुँह पकड़कर अपने लंड को बाहर निकाला।
भाभी ने तुरंत उसे मुँह में ले लिया और मेरा सारा गरम लोड निगल गईं।
बाद का रिश्ता
उस दिन के बाद, जब भी उनके पति बाहर रहते, मैं भाभी के पास चला जाता। हर बार नई पोज़िशन, नया मज़ा।
भाभी ने कहा — “तुमने मेरी ज़िंदगी में फिर से मस्ती ला दी। अब मैं हमेशा तुम्हारे लंड की दीवानी रहूँगी।”
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