गर्मियों की दोपहर थी। मोहल्ले में बिजली गई हुई थी और सब लोग छत या आँगन में बैठे पंखे झल रहे थे। मेरे घर के ठीक सामने रहती थीं सुमन आंटी, उम्र लगभग 35 साल, सांवली लेकिन बेहद हॉट। उनकी सबसे बड़ी खासियत थी उनका मोटा, उभरा हुआ पिछवाड़ा, जिस पर मोहल्ले के सारे मर्द चोरी-चोरी नज़र डालते रहते थे।
उस दिन मैं उनकी छत पर पानी की टंकी देखने गया, क्योंकि उनके पति बाहर गए हुए थे और उन्होंने मुझे मदद के लिए बुलाया। आंटी पतली कॉटन की साड़ी में थीं, बिना पेटीकोट के। जैसे ही हवा चली, उनकी साड़ी चिपक कर उनकी बड़ी-बड़ी गांड की गोलाई साफ नज़र आने लगी।
मैंने नज़र हटाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार निगाह वहीं अटक जाती। आंटी ने मेरी चोरी पकड़ ली और मुस्कुराकर बोलीं –
“क्या हुआ बेटा? कुछ ज़्यादा ही ध्यान है पीछे की तरफ़?”
मैं शर्मिंदा हुआ लेकिन आंटी ने अचानक मेरी कमर पर हाथ रखकर साड़ी थोड़ा सा हटा दी और बोलीं –
“अगर इतना मन कर रहा है, तो छुप-छुप के क्यों देख रहे हो? सामने से आकर पकड़ लो।”
पहली बार स्पर्श
बस फिर क्या था, मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैंने धीरे से उनका मोटा पिछवाड़ा पकड़ लिया। मुलायम, गरम और भरा हुआ। आंटी हल्की सी कराह उठीं –
“हाय राम… ज़रा धीरे, कहीं नीचे से सुन न लें।”
लेकिन मैं अब काबू में कहाँ था। मैंने दोनों हाथों से उनकी गांड दबाते हुए मुँह से होंठ चूम लिए। आंटी ने भी कसकर पकड़ लिया और बोलीं –
“आज तू मेरी प्यासी गांड में अपना लंड डाले बिना मत जाना।”
गांड की तलब
आंटी मुझे कमरे में खींच ले गईं। उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी और मेरे सामने उनकी बड़ी, हिलती-डुलती गांड पूरी नंगी थी। बीच में उनकी गुलाबी दरार देखकर मेरा लंड और खड़ा हो गया।
मैंने थोड़ा तेल निकाला और उनकी गांड की दरार पर लगाया। आंटी चारपाई पर झुक गईं, उनकी गांड ऊपर उठी हुई थी।
जैसे ही मैंने अपना लंड उनकी गांड में डाला, आंटी दर्द से चिल्लाईं –
“आह्ह बेटा धीरे… मेरी तंग गांड है… लेकिन मज़ा भी यहीं है।”
धीरे-धीरे झटके लगाते-लगाते मैं तेज़ी से धक्के मारने लगा। उनकी गांड की टाइट पकड़ मेरे लंड को दबा रही थी। हर धक्के पर आंटी हिल-हिलकर कराह रही थीं –
“हाँss… और जोर से… मेरी गांड फाड़ दे…!”
मज़े की बरसात
करीब दस मिनट तक मैंने उनकी गांड में लगातार ठोके मारे। आंटी की चीख और मेरी सिसकारियों से कमरा गर्म हो गया। आखिरकार जब मेरा वीर्य फटा तो सीधा उनकी गांड के अंदर भर दिया।
आंटी हाँफते हुए बोलीं –
“आज तो तूने मेरी गांड का असली मज़ा चखा… अब जब भी मन करे, मेरे घर आ जाना।”
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