मैं रितु, 26 साल की, शादीशुदा और छोटे कस्बे में अकेली रहती थी। पति अक्सर बाहर रहते थे, इसलिए अकेलेपन ने मेरे दिल और शरीर में धीरे-धीरे एक बेचैनी पैदा कर दी थी।
हमारे बगल वाले घर में अंकित नाम का लड़का रहता था। उम्र लगभग 22 साल, लंबा, गोरा और फिट। उसकी जिम की बॉडी और चौड़ी छाती मुझे हमेशा आकर्षित करती थीं। अक्सर वह छत या गली से मुझे देखता और मुस्कुराता, जैसे मेरे इशारों को समझ रहा हो।
नज़रों का खेल
एक दिन जब मैं घर के बाहर कपड़े सुखा रही थी, अंकित पास से गुजरते हुए बोला –
“भाभी, आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं।”
मेरी सांसें अटक गईं, लेकिन मैंने मुस्कुरा कर कहा –
“अरे चुप रहो, कोई देख लेगा।”
उसकी आंखों में शरारत और भूख साफ़ दिख रही थी। मेरी अंदर की गर्मी बढ़ गई। धीरे-धीरे हमारी नजरों का खेल रोज़ का बन गया।
पहला मौका
एक दोपहर पति बाहर गए हुए थे। घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला और अंकित खड़ा था, हाथ में बिजली का बिल लिए।
“भाभी, पापा घर पर नहीं हैं। ये बिल सही है या नहीं देख सकती हैं?”
मैंने उसे अंदर बुलाया। जैसे ही वह कमरे में आया, उसका परफ्यूम मेरी सांसों में घुल गया। उसकी नज़रों में वह भूख और चाहत साफ दिख रही थी।
छेड़खानी और फुसलाना
वह सोफ़े पर बैठा और मेरे पास थोड़ा झुका। उसकी जांघें मेरी जांघ से छूने लगीं। मेरी सांस तेज़ हो गई। उसने धीरे से मेरी उंगलियाँ पकड़ लीं और कहा –
“भाभी, मैं कब से आपको चाहता हूँ, आज रोक मत लेना।”
मैंने हल्के से हाथ छुड़ाया, लेकिन मेरे दिल ने इनकार नहीं किया। तभी उसने झट से मेरा चेहरा अपनी ओर खींचकर होंठों पर चूम लिया।
होंठ से चूत तक
उसकी जीभ मेरी जीभ से टकराई और हमारी सांसें तेज़ हो गईं। मैंने अपने हाथ उसके शरीर पर फेरना शुरू किया। उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरी भारी चुचियों को दबाना शुरू किया।
“उफ़्फ अंकित… धीरे…” मैं कराह उठी।
वह मेरी ब्रा हटा कर निप्पल चूमने लगा। मेरी चूत धीरे-धीरे रस से भीग रही थी।
पहली बार की चुदाई
अंकित ने मेरी साड़ी और पेटीकोट उतार दिए। अब मैं केवल पैंटी में थी। उसने मेरी पैंटी भी नीचे खींची और अपनी जीभ मेरी गीली चूत पर रख दी।
“आह्ह्ह… अंकित… चाटो और…” मैं अपनी कमर मटकाने लगी।
कुछ देर बाद वह खड़ा हुआ, पैंट नीचे खींची और उसका मोटा लंड बाहर आया। मैं पहली बार उसकी मोटाई देख रही थी।
“भाभी, आज आपको पूरा भर दूँगा।”
धीरे-धीरे उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।
“आह्ह्ह्ह… फाड़ दिया अंकित…” मैं चिल्लाई, लेकिन मज़ा भी आ रहा था।
चरम सुख
करीब 15 मिनट तक उसने लगातार मेरी चूत चोदी। मेरी कमर हर धक्के के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी।
“आह्ह… और तेज़ अंकित… फाड़ दे मेरी चूत…”
आखिरकार उसने जोर का झटका मारा और मेरी चूत उसके वीर्य से भर गई। मैं थक कर उसकी छाती पर गिर गई।
बाद की बात
उस दिन के बाद हमारा रिश्ता और गहरा हो गया। जब भी घर खाली होता, अंकित मेरे पास आता और हम दोनों अपनी वासना बुझाते।
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