मेरा नाम रामलाल है, उम्र 32, गांव में खेती-बाड़ी करता हूँ। मेरी बीवी सुनीता 26 साल की, गोरी-चिट्टी, भरे-भरे स्तन और कमर में ऐसी लचक कि खेत के किनारे से गुजरते लड़कों की नजर वहीं अटक जाती।
हमारे घर के बगल में बलराम रहता था, 35 साल का, चौड़ी छाती, घनी मूंछें और आंखों में हमेशा शरारत। गांव में उसकी पहचान ही यही थी कि औरतों को पटाने में माहिर है।
💬 पहली चालाकी
एक दिन मैं खेत में पानी देने गया था और सुनीता घर पर अकेली थी। बलराम सुबह-सुबह आ धमका
बलराम: “अरी सुनीता, तेरे रामलाल से कहना बैल की रस्सी दे दे, खेत जोतना है।”
सुनीता: “ठहर, देखती हूँ कहां रखी है।”
रस्सी तो बहाना था, असली मंशा कुछ और थी। बलराम अंदर आ गया और चाय का बोलने लगा।
चाय पीते-पीते उसने सुनीता की तारीफ करनी शुरू कर दी
“तेरी चमड़ी तो मक्खन जैसी है, सुनीता… रामलाल का तो भाग्य खुला है।”
सुनीता पहले हंसी में टाल रही थी, लेकिन बलराम करीब खिसक आया।
🔥 पहला टच
बलराम ने बात करते-करते उसका हाथ पकड़ लिया।
सुनीता – “ये क्या कर रहे हो बलराम? छोड़ो हाथ।”
बलराम – “अरे, बस यूं ही… तू तो बड़ी प्यारी लग रही है।”
उसने उसके गले में हाथ डालकर धीरे से खींचा और कान में कहा –
“एक बार मौका दे दे, मजा आ जाएगा… किसी को पता नहीं चलेगा।”
सुनीता घबराई, लेकिन बलराम के हाथ उसकी कमर पर घूमने लगे और उसकी सांसें तेज होने लगीं।
👗 कपड़े उतरना
बलराम ने धीरे से सुनीता की चुन्नी हटाई। उसके उभरे हुए गोल-मटोल स्तन ब्लाउज के अंदर से साफ उभर रहे थे।
उसने ब्लाउज के हुक खोले और ब्रा के ऊपर से ही दूधियां गोलाई मसलने लगा।
सुनीता – “हाय राम… धीरे कर… कोई देख लेगा।”
बलराम – “दरवाजा बंद है, डर मत।”
अब बलराम ने उसकी सलवार की नाड़ा खोली और नीचे खिसका दी। सामने गुलाबी पैंटी में ढकी उसकी चूत थी, जो पहले से गीली हो चुकी थी।
💦 पहली छेड़छाड़
उसने पैंटी साइड में की और अपनी उंगली सुनीता की चूत में डाल दी।
सुनीता – “म्म्म… आह्ह… बलराम…”
बलराम झुककर उसकी चूत चाटने लगा। उसकी जीभ कभी अंदर जाती, कभी भगनास पर घूमती।
सुनीता की कराहें कमरे में गूंजने लगीं।
🍆 लंड का प्रवेश
बलराम ने अपना मोटा, कड़क लंड बाहर निकाला।
सुनीता – “इतना बड़ा… दर्द होगा।”
बलराम – “पहले थोड़ा-थोड़ा, फिर मजा ही मजा।”
उसने धीरे-धीरे लंड अंदर डाला। सुनीता दर्द से कराह उठी –
“आह्ह… हाय राम… धीरे…”
लेकिन कुछ ही पलों में उसकी सांसें तेज हो गईं और कमर खुद आगे-पीछे हिलने लगी।
♨ पोजिशन बदलना
पहले चारपाई पर लिटाकर मिशनरी पोजिशन में चोदा। फिर पीछे से उठाकर डॉगी पोज़िशन में उसकी गांड पकड़कर जोर-जोर से धक्के मारने लगा।
हर धक्के पर सुनीता की चीख निकलती –
“हां… ऐसे… और… जोर से… ओह्ह बलराम…”
फिर बलराम ने उसे गोदी में उठाकर खड़ा-खड़ा चोदा, जिससे उसके स्तन उछल-उछल कर उसके सीने से टकराते रहे।
🏁 चरम सुख
करीब 20 मिनट की गरम चुदाई के बाद, बलराम ने उसकी चूत में पूरा पानी छोड़ दिया।
दोनों पसीने से भीगे हुए थे। सुनीता थकी हुई चारपाई पर गिर गई और बलराम कपड़े पहनकर चला गया।
शाम को जब मैं घर लौटा तो सुनीता पहले जैसी नहीं लग रही थी — आंखों में अजीब सी चमक और होंठ लाल हो रखे थे। मुझे तब अंदाजा नहीं था कि दिन में बलराम ने मेरी बीवी की पूरी चुदाई कर दी है।
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