दोस्तों, ये कहानी मेरी असली ज़िंदगी की है। मेरा नाम विक्रम है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। गर्मियों की छुट्टियों में मैं मनाली घूमने गया था। पहाड़ों की ठंडी हवाओं में मन तो खुश था लेकिन एक अलग ही गर्मी मेरे जिस्म में उठ रही थी। होटल में ठहरने के बाद मेरी मुलाकात हुई एक ऐसी पहाड़न माल भाभी से, जिसकी हुस्न और जलवा देखकर मेरा लंड अपने आप खड़ा हो गया।
वो भाभी का नाम सविता था। उम्र लगभग 30 साल, गोरी चमड़ी, बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ और शरीर ऐसा कि जैसे दूध से बना हो। भरे हुए स्तन, चौड़ी कमर और चलती थी तो ऐसा लगता जैसे पूरा पहाड़ हिल रहा हो।
पहली मुलाकात – होटल का लॉबी
मैं होटल की लॉबी में चाय पी रहा था। तभी सविता भाभी आईं। हल्की गुलाबी शॉल और नीचे से उनकी तंग सलवार में छुपी गोल मटोल गांड साफ झलक रही थी। मेरी नज़रें उनकी कमर और उभार पर टिक गईं। भाभी ने मुझे देखा और मुस्कुराई।
“आप दिल्ली से हैं न?” उन्होंने पूछ लिया।
“हाँ भाभी, घूमने आया हूँ,” मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
बातों ही बातों में हम पास आ गए। भाभी अपने पति के साथ आई थीं लेकिन वो बाहर किसी काम से गए हुए थे। मतलब भाभी अकेली थी और यही मौका मेरे लिए सोने पे सुहागा था।
कमरे में बुलावा
अगले दिन सुबह नाश्ते के वक्त भाभी ने खुद मुझे अपने कमरे में चाय पीने बुलाया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। जैसे ही मैं कमरे में पहुँचा, देखा भाभी ढीली-ढाली नाइटी पहने हुई थीं। उसके अंदर से उनके गोल-गोल स्तन ऐसे झलक रहे थे जैसे आम रस से भरे हुए हों।
मैंने धीरे से कहा, “भाभी, आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं।”
भाभी मुस्कुराई और बोलीं, “अरे छोड़ो भी विक्रम, तुम भी न बड़े नटखट हो।”
उनकी आवाज में मीठापन और आँखों में शरारत थी।
पहली छुअन
भाभी ने मुझे चाय दी और खुद पास आकर बैठ गईं। उनके बालों से आती खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। मैंने हिम्मत करके उनका हाथ पकड़ लिया। भाभी ने हाथ नहीं छुड़ाया, बल्कि धीरे से मेरी उंगलियों को दबा दिया।
मेरे लंड ने तुरंत झटका खाया और खड़ा हो गया।
मैंने कहा, “भाभी, मैं आपको बहुत चाहता हूँ।”
वो बोलीं, “अगर इतना चाहते हो तो रोकते क्यों हो?”
इतना सुनना था कि मैंने भाभी को अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों पर जोरदार चुंबन जड़ दिया।
होंठों से चूत तक
भाभी भी अब गरम हो चुकी थीं। हमारी जीभें आपस में उलझ गईं। मैंने उनके स्तनों को पकड़कर दबाना शुरू किया। नाइटी के ऊपर से ही उनकी निप्पल सख्त होकर मेरे हाथों में आ गए।
“आह्ह विक्रम… धीरे… कोई सुन लेगा,” भाभी ने कराहते हुए कहा।
लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी। उनकी नाइटी ऊपर उठाई और ब्रा खींचकर नीचे गिरा दी। उनके दूध जैसे सफेद स्तन मेरे सामने थे। मैंने दोनों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
भाभी कराह उठीं, “हाय माँ… मेरी चूत भीग रही है विक्रम…”
होटल का बिस्तर बना रणभूमि
अब मुझे भी काबू नहीं था। मैंने उनकी सलवार खींचकर उतारी और देखा कि उनकी गुलाबी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। हल्के-हल्के बालों से सजी चूत मुझे और पागल कर रही थी।
मैंने मुँह झुकाया और उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया।
“आह्ह्ह विक्रम… ओह्ह… हाय राम… मार डाला…” भाभी बिस्तर पर तड़पने लगीं।
उनका रस मेरी जीभ पर आने लगा। मैंने अपनी जीभ से उनके भगशेफ को दबाकर चाटना शुरू किया। भाभी जोर-जोर से कराहने लगीं और मेरे बाल पकड़कर अपने और पास खींचने लगीं।
लंड का प्रवेश
अब मेरी बारी थी। मैंने अपना पूरा कपड़ा उतार दिया। मेरा मोटा और लंबा लंड देख भाभी की आँखें चौड़ी हो गईं।
“इतना बड़ा लंड… मैं कैसे झेलूँगी?” उन्होंने डरते हुए कहा।
मैंने कहा, “भाभी, आप तो पहाड़न माल हो, सब झेल लोगी।”
इतना कहकर मैंने लंड को उनकी गीली चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर घुसाना शुरू किया।
“आह्ह्ह… विक्रम… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी…”
लेकिन उनकी चूत ने मेरे लंड को कसकर जकड़ लिया था। कुछ ही झटकों में मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया।
जबरदस्त चुदाई
मैंने भाभी को गोदी में उठाकर दीवार से टिकाया और जोर-जोर से झटके मारने लगा।
धड़-धड़-धड़… होटल का कमरा गूंजने लगा।
भाभी कराह रही थीं, “आह्ह्ह… विक्रम… चोद डाला तूने मुझे… और जोर से मार… मेरी चूत फाड़ दे…”
उनकी बातें सुनकर मैं और पागल हो गया। मैंने उन्हें पलटकर डॉगी स्टाइल में लिया। अब उनका गोल मटोल पहाड़ जैसा गांड मेरे सामने था। मैंने लंड चूत में डाला और पीछे से जोरदार ठोके मारने लगा।
“हाय माँ… आह्ह्ह… विक्रम… तू तो जान ले लेगा मेरी…”
उनकी आवाज़ सुनकर मुझे और मजा आ रहा था।
चरम सुख
लगातार 20 मिनट तक मैंने भाभी की चूत में लंड चलाया। उनका पसीना, उनकी महक और उनकी कराहें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं।
आखिरकार भाभी जोर से चिल्लाई, “आह्ह्ह विक्रम… मैं आ गई… मेरी चूत फट गई…”
और वो मेरे लंड पर गिरते हुए थरथराने लगीं।
कुछ ही सेकंड में मेरा भी पानी निकला और मैंने उनकी चूत के अंदर ही सारा वीर्य छोड़ दिया।
भाभी बिस्तर पर गिर पड़ीं और मैंने उन्हें गले से लगा लिया।
चुदाई का असर
उस दिन के बाद हर रात हम होटल में ऐसे ही चुदाई करते रहे। भाभी कहती थीं, “विक्रम, तूने मुझे वो मजा दिया जो मेरे पति ने कभी नहीं दिया।”
मैंने भी उन्हें हर स्टाइल से चोदा – कभी बिस्तर पर, कभी कुर्सी पर, कभी बाथरूम में। पहाड़न माल भाभी की चूत का रस मैंने जी भरकर पिया।
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