मेरा नाम विक्रम है, उम्र 35 साल, और मैं शहर में एक बड़ी कंपनी का मालिक हूँ। काम के लिए मैंने कई स्टाफ रखे हैं, लेकिन मेरी प्राइवेट सेक्रेटरी रश्मि… बस उसका नाम लेते ही दिल धड़कने लगता है। 26 साल की, गोरी-चिट्टी, लंबे बाल, भरे-भरे स्तन, और हमेशा टाइट कपड़े पहनने की आदत।
रश्मि ऑफिस में जितनी स्मार्ट थी, उतनी ही सेक्सी भी। हर बार जब वो मेरी टेबल पर फाइल रखने झुकती, तो उसकी गुलाबी ब्रा का किनारा और हल्की सी cleavage दिख जाती। मैं न चाहते हुए भी उसे घूरने लगता।
🔥 पहला मौका
एक दिन शाम को ऑफिस में सिर्फ मैं और रश्मि बचे थे। बाकी सब लोग जा चुके थे। बारिश हो रही थी, और बाहर अंधेरा छा चुका था।
मैंने कहा –
“रश्मि, ये फाइलें आज ही तैयार करनी होंगी, तुम रुको।”
वो हंसते हुए बोली –
“ठीक है सर, वैसे भी बाहर बारिश में कैसे जाऊँगी।”
उसने टेबल पर झुककर फाइल देखनी शुरू की। उसकी लाल रंग की साड़ी का पल्लू ढीला था और ब्लाउज़ का गला इतना गहरा कि मेरे लंड में जान आ गई।
💋 नज़दीकी बढ़ना
मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया और धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा। उसने मुझे देखा, लेकिन मना नहीं किया। मैं धीरे-धीरे उसके कान के पास झुककर बोला –
“रश्मि, तुम बहुत खूबसूरत हो।”
उसके गाल लाल हो गए। उसने हल्की सी मुस्कान दी।
मेरे हाथ अपने आप उसके कमर पर चले गए। उसकी कमर इतनी पतली और मुलायम थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।
👗 कपड़े उतरने लगे
मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और होंठों पर किस कर लिया। शुरुआत में उसने हल्का सा विरोध किया, लेकिन फिर मेरी बाहों में ढीली पड़ गई। मेरी जीभ उसके मुंह में घुस गई, और हमारे होंठ ऐसे चिपके जैसे बरसों की प्यास हो।
मेरे हाथ अब उसके ब्लाउज़ के अंदर थे, और मैं उसकी गोल-मटोल छातियों को सहला रहा था। ब्रा के ऊपर से ही निप्पल सख्त हो चुके थे।
मैंने उसकी साड़ी नीचे खिसका दी, और अब वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी।
मैंने ब्रा की हुक खोली और उसके दूधिया स्तन खुल गए।
💦 रसीली चूत का स्वाद
मैंने उसे टेबल पर बैठाया और पेटीकोट नीचे किया। सामने उसकी गुलाबी, हल्की-सी गीली चूत थी।
उसके ऊपर काले रंग की लेस वाली पैंटी थी, जो पहले से ही गीली हो चुकी थी।
मैंने पैंटी भी नीचे कर दी और अपना चेहरा उसकी चूत के पास ले गया। जैसे ही मैंने जीभ लगाई, रश्मि ने जोर से कराहते हुए कहा –
“ओह्ह विक्रम… बस्स… बहुत मजा आ रहा है…”
मैं उसकी चूत चाटता रहा, कभी जीभ अंदर डालता, कभी भगनास पर रगड़ता। उसके रस का स्वाद मीठा और गरम था।
🍆 लंड अंदर
अब मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने अपनी पैंट खोली और अपना खड़ा हुआ मोटा लंड बाहर निकाला।
रश्मि ने उसे देखते ही मुस्कुरा कर कहा –
“इतना बड़ा… कैसे फिट होगा…”
मैंने उसके पैर फैलाए और धीरे-धीरे लंड उसकी चूत में डाला। शुरुआत में वो हल्का-सा दर्द से कराह उठी, लेकिन फिर उसकी सांसें तेज होने लगीं।
“हाँ… ऐसे… और जोर से…” – वो लगातार बोल रही थी।
मैं धीरे-धीरे से तेज होने लगा। हर धक्का लगते ही उसके स्तन हिलते और उसकी कराहें कमरे में गूंजतीं।
🏁 अंत का मजा
करीब 15 मिनट तक मैं उसे टेबल पर ही चोदता रहा, कभी खड़ा होकर, कभी उसे अपनी गोद में बैठाकर।
जब मेरा पानी निकलने वाला था, मैंने उसकी चूत में और तेज धक्के मारे और जोर से कराहते हुए सारा वीर्य उसके अंदर छोड़ दिया।
रश्मि थकी हुई मेरी बाहों में गिर पड़ी, उसके बाल बिखरे हुए थे और होंठ लाल हो चुके थे।
उस दिन के बाद से रश्मि और मैं ऑफिस में जब भी अकेले होते, ये खेल जरूर खेलते।
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