मेरा नाम रोहित शर्मा है, उम्र 28 साल। मैं दिल्ली में रहता हूँ और एक डिजिटल मार्केटिंग कंपनी में काम करता हूँ। दिनभर का काम तो ठीक-ठाक निकल जाता था, लेकिन रात को जब अकेला कमरे में होता, तो अक्सर फेसबुक, इंस्टाग्राम पर टाइम पास करता।
एक रात फेसबुक स्क्रॉल करते-करते मेरी नजर एक प्रोफाइल पर पड़ी – “सोनाली अग्रवाल”। DP में वो हल्के पिंक कलर की सिल्क साड़ी में थीं, चेहरे पर मासूमियत और आँखों में शरारत का अजीब सा कॉम्बिनेशन। पल्लू हल्का सा सरक कर गले का भाग दिखा रहा था, और मुस्कान में जैसे कोई गुप्त आमंत्रण छुपा हो।
मैंने बिना देर किए फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी। अगले दिन ही नोटिफिकेशन आया – “Sonali accepted your friend request”. दिल में हल्का सा उत्साह आ गया।
चैट की शुरुआत – शरारत की पहली चिंगारी
रिक्वेस्ट ऐक्सेप्ट होते ही मैंने मैसेज किया –
रोहित: “Hi Sonali ji, कैसी हैं?”
कुछ देर बाद रिप्लाई आया –
Sonali: “Hello, मैं ठीक हूँ… आप कैसे हो?”
बात धीरे-धीरे काम, मौसम, मूवी, म्यूजिक तक पहुँची। रोज़ थोड़ी-थोड़ी बातें होने लगीं। मैं समझ गया कि भाभी भी बोरियत मिटाने के लिए चैट कर रही हैं, लेकिन उनके टोन में एक खुलापन था जो आम तौर पर शादीशुदा महिलाएं जल्दी नहीं दिखातीं।
चौथे दिन उन्होंने अचानक पूछा –
“तुम सिंगल हो या गर्लफ्रेंड है?”
मैंने तुरंत लिखा –
“सिंगल हूँ… और शायद इसलिए आपकी बातों में इतना खो जाता हूँ।”
उनका रिप्लाई आया –
“हाहाहा… तुम बड़े शरारती हो।”
यही वो शब्द था जिसने माहौल बदल दिया।
पहली तस्वीर – इरादों का इशारा
एक रात मजाक-मजाक में मैंने लिख दिया –
“भाभी, आपकी DP देखकर तो यकीन नहीं होता कि आप सच में इतनी खूबसूरत होंगी।”
वो थोड़ी देर चुप रहीं, फिर मैसेज किया –
“तो देख लो रियल में कैसी हूँ।”
और अगले ही पल एक फोटो आई – नीली नाइटी में, बाल खुले हुए, होंठों पर हल्की लिपस्टिक, और गले का कपड़ा इतना ढीला कि अंदर की गोलाई साफ झलक रही थी।
मेरा गला सूख गया। मैंने लिखा –
“भाभी, आप तो जान ले लेंगी।”
वो हँसकर बोलीं –
“अभी तो बस फोटो भेजी है… मिलोगे तो पता चलेगा।”
प्लान – होटल में पहली मुलाकात
करीब 10 दिन बातें करने के बाद उन्होंने एक दिन लिखा –
“रोहित, मैं अगले हफ्ते गुरुग्राम आ रही हूँ। पति ऑफिस टूर पर है, तो दो दिन फ्री रहूँगी।”
मैंने तुरंत जवाब दिया –
“तो फिर मिलते हैं?”
वो थोड़ी देर बाद बोलीं –
“अगर प्रॉपर ट्रीट दोगे तो हाँ।”
हमने शनिवार शाम 5 बजे का टाइम फिक्स किया, होटल बुक हो गया – रूम नंबर 407।
होटल का दरवाज़ा – पहली नजर की हलचल
शनिवार को मैं समय से पहले ही होटल पहुँच गया। दिल की धड़कन तेज थी। लिफ्ट से चौथी मंज़िल पर पहुँचा, रूम के सामने खड़ा हुआ और हल्का सा नॉक किया।
दरवाज़ा धीरे से खुला… और सामने सोनाली भाभी। लाल सिल्क साड़ी, बाल खुले हुए, गले में पतली गोल्ड चेन, और होंठों पर गहरी रेड लिपस्टिक। पल्लू से झाँकता गोरा पेट और खुशबू इतनी तेज कि दिल मचल उठा।
Sonali: “आ जाओ, मिस्टर शरारती।”
मैंने दरवाज़ा बंद किया, और हम कुछ सेकंड बस एक-दूसरे को देखते रहे।
पहला स्पर्श – आग भड़कना शुरू
मैंने उनका हाथ पकड़ा। उनकी कलाई की नर्मी मेरे अंदर बिजली सी दौड़ा गई। वो हल्के से मुस्कुराईं –
“इतनी जल्दी क्या है… बैठो पहले।”
हम सोफ़े पर बैठे, लेकिन मेरी नज़र उनके गले के नीचे थी। उन्होंने नोटिस किया और पल्लू थोड़ा सा खिसका दिया, जैसे जानबूझकर उकसा रही हों।
धीरे-धीरे कपड़े उतरना
मैंने झुककर उनके होंठों को छुआ। वो हल्का सा सिहर उठीं, फिर मेरे गले में हाथ डाल दिए। मैंने साड़ी का पल्लू सरकाया, ब्लाउज़ के हुक खोले… और उनकी सफेद, गोल चूचियाँ ब्रा में बंद दिखाई दीं।
मैंने एक-एक चूची को होंठों में लेकर दबाया, चाटा… और भाभी की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगीं –
“हम्म्म… रोहित… ओह्ह…”
बिस्तर पर – जिस्म का खेल
मैंने उन्हें बेड पर लिटाया, साड़ी पूरी उतार दी। अब वो सिर्फ नीली लेस वाली ब्रा और पैंटी में थीं। मैंने ब्रा के हुक खोले, पैंटी नीचे खींची… उनकी चिकनी जाँघों के बीच हल्की गीली चूत चमक रही थी।
मैं नीचे झुककर जीभ से उनकी चूत चाटने लगा। भाभी का शरीर कांपने लगा –
“आह्ह… बस्स… ओह्ह… रोहित…”
पहला राउंड – प्यास बुझाना
मैंने अपने कपड़े उतारे, गरम लंड उनके होठों पर रखा। उन्होंने हाथ से पकड़कर चूसा, फिर मैं उनके ऊपर आ गया।
पहले ही धक्के में उनका मुँह कराह से भर गया –
“आह्ह… रोहित… धीरे…”
लेकिन धीरे-धीरे हमारी रफ्तार तेज़ हो गई। बिस्तर हिलने लगा, उनकी सिसकियाँ तेज होती गईं, और आखिर में दोनों एक साथ कराहते हुए खत्म हुए।
दूसरा राउंड – और गहरा, और लंबा
पहले राउंड के बाद भी भाभी की भूख कम नहीं हुई। उन्होंने मुझे नीचे लिटाया, ऊपर बैठकर राइड करने लगीं। उनकी चूचियाँ मेरे चेहरे के पास हिल रही थीं, और मैं नीचे से जोर के धक्के मार रहा था।
करीब आधे घंटे बाद, पसीने से भीगे हुए, हम दोनों थक कर गिर पड़े।
सुबह – विदाई की मुस्कान
सुबह जब मैं उठा, भाभी मेरी बाँहों में थीं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा –
“रोहित, तुमने मुझे दीवाना बना दिया।”
हमने आखिरी बार एक लंबा किस किया, और फिर मैं निकल गया।
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