पुरानी सेटिंग की चचेरी बहन की सीलपैक चूत फाड़ी: मेरी अपनी कहानी

मेरा नाम है अर्जुन, और मैं 25 साल का एक फ्रीलांस फोटोग्राफर हूँ। मैं बनारस के एक पुराने मोहल्ले में रहता हूँ, जहाँ गंगा की लहरों की आवाज़ और मंदिरों की घंटियों की गूंज हर पल को खास बनाती है। मेरी ज़िंदगी में फोटोग्राफी, दोस्तों के साथ मस्ती, और गंगा के घाट पर समय बिताना ही सब कुछ था। लेकिन पिछले साल की एक घटना ने मेरी दुनिया को पूरी तरह बदल दिया। यह कहानी मेरी और मेरी चचेरी बहन, काव्या, की है। मैं जानता हूँ कि यह सुनने में अटपटा लग सकता है, लेकिन यह मेरी सच्चाई है, और मैं इसे पूरी ईमानदारी से आपके सामने रख रहा हूँ।

काव्या, 19 साल की, मेरे चाचा की बेटी थी। वह गाँव में रहती थी, लेकिन हर गर्मियों की छुट्टियों में हमारे घर आती थी। काव्या का चेहरा मासूम था, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। उसका गोरा रंग, लंबे काले बाल, और सलवार-कमीज़ में लिपटा हुआ उसका बदन मुझे हमेशा अपनी ओर खींचता था। हम दोनों बचपन से अच्छे दोस्त थे। साथ में गलियों में साइकिल चलाना, गंगा के घाट पर पत्थर फेंकना, और रात को छत पर सितारे देखना—यह हमारी पुरानी सेटिंग थी। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े हुए, मेरे मन में काव्या के लिए कुछ अलग-सी भावनाएँ जागने लगीं। मैं जानता था कि यह गलत है, लेकिन दिल को कौन समझाए?

गर्मियों की छुट्टियों में काव्या का आना

पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में काव्या हमारे घर आई। मेरे माता-पिता को एक रिश्तेदार की शादी के लिए कुछ दिनों के लिए लखनऊ जाना था। घर में सिर्फ मैं और काव्या रह गए। उस दिन दोपहर को हम दोनों छत पर बैठे थे। गर्मी की वजह से हल्की हवा चल रही थी, और काव्या अपनी नीली सलवार-कमीज़ में किसी अप्सरा-सी लग रही थी। मैंने हँसते हुए कहा, “काव्या, तू तो अब पूरी जवान हो गई है। गाँव में कोई बॉयफ्रेंड बनाया या अभी भी साइकिल चलाने में ही मस्त है?” उसने शरमाते हुए जवाब दिया, “अर्जुन भैया, आप भी ना… मैं तो बस पढ़ाई करती हूँ।”

उसकी शरम और उसकी हंसी ने मेरे मन में एक आग-सी जला दी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “काव्या, तू सच में बहुत खूबसूरत है। अगर तू मेरी चचेरी बहन न होती, तो मैं तुझ पर फिदा हो जाता।” उसने मेरी ओर देखा, और उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। “अर्जुन भैया, आप भी तो कम नहीं हो,” उसने धीरे से कहा। उसकी बातों में एक नरमी थी, जो मुझे और करीब खींच रही थी।

बारिश की रात में जागी वासना

उस रात, जब बाहर बारिश शुरू हो गई, हम दोनों ड्राइंग रूम में बैठकर पुरानी तस्वीरें देख रहे थे। काव्या ने एक तस्वीर उठाई, जिसमें हम दोनों बचपन में गंगा के घाट पर खेल रहे थे। “अर्जुन भैया, वो दिन कितने अच्छे थे,” उसने मुस्कुराते हुए कहा। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “काव्या, वो दिन अब भी वापस आ सकते हैं। बस अब हम बड़े हो गए हैं।” उसने शरमाते हुए सिर झुका लिया, लेकिन उसने मेरा हाथ नहीं छोड़ा।

मैंने हिम्मत जुटाकर उसे अपनी बाहों में लिया। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। “अर्जुन भैया, ये गलत है…” उसने फुसफुसाते हुए कहा। लेकिन उसकी आँखें कुछ और कह रही थीं। मैंने धीरे-धीरे उसकी सलवार का नाड़ा खोला, और उसकी गोरी चूत मेरे सामने थी। मैंने उसकी सीलपैक चूत को प्यार से सहलाया, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। “अर्जुन भैया, धीरे… मुझे डर लग रहा है,” उसने सिसकारते हुए कहा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “काव्या, मेरी जान, मैं तुम्हें कभी तकलीफ नहीं दूँगा।”

पहली बार का सुख

मैंने अपनी पैंट उतारी, और मेरा सख्त लंड उसकी आँखों के सामने था। उसने शरमाते हुए मेरी ओर देखा और कहा, “अर्जुन भैया, ये… इतना बड़ा है।” मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाया। उसकी सिसकारियाँ तेज़ होती गईं। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर टिकाया, और काव्या ने हल्के-हल्के कूदना शुरू किया। “हाँ, अर्जुन भैया… और… और धीरे,” वह बार-बार कह रही थी। मैंने उसकी वासना को और भड़काया, और हर धक्के के साथ उसका जुनून बढ़ता जा रहा था। मेरे लंड ने उसकी सीलपैक चूत की सील तोड़ दी, और वह हर पल में खो गई।

मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ रखा था, और हम दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह डूब गए। काव्या की चूत इतनी टाइट थी कि मैं पागल हो रहा था। “अर्जुन भैया, तुमने मेरे अंदर की आग जगा दी,” उसने सिसकारते हुए कहा। मैंने उसकी बातों को सुनकर और जोश में आ गया, और हम दोनों उस रात एक-दूसरे के हो गए। उस रात, बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच, मैंने अपनी चचेरी बहन की चुदाई का सुख लिया। यह उसका पहली बार था, और मेरा भी। हम दोनों ने उस पल को पूरी तरह जी लिया।

उस रात का राज़

सुबह होने से पहले, काव्या ने मुझे गले लगाया और कहा, “अर्जुन भैया, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “काव्या, ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल है।” उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मेरे दिल को सुकून दे रही थी।

अगले दिन, मेरे माता-पिता लखनऊ से वापस आ गए, और काव्या भी अपने गाँव लौट गई। हमारी मुलाकातें अब भी होती हैं, लेकिन उस रात की बात कभी सामने नहीं आई। मेरे मन में काव्या के लिए एक अजीब-सी चाहत है, लेकिन मैं जानता हूँ कि यह रिश्ता सिर्फ उस रात तक सीमित था। हमारी पुरानी सेटिंग अब भी बरकरार है—हँसी-मज़ाक, गपशप, और छत पर सितारे देखना। लेकिन उस रात की यादें मेरे मन में हमेशा के लिए बस गईं।

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