शादीशुदा पड़ोसन होटल में आकर चुदी: मेरी अपनी कहानी

मेरा नाम है आदित्य, और मैं 29 साल का एक मार्केटिंग प्रोफेशनल हूँ। मैं कानपुर के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में रहता हूँ, जहाँ की गलियों में सुबह की चाय की चुस्कियाँ और शाम को पड़ोसियों की गपशप की रौनक बनी रहती है। मैं अकेला रहता हूँ, क्योंकि मेरा काम मुझे अक्सर शहर से बाहर ले जाता है। मेरी ज़िंदगी में काम और दोस्तों के अलावा ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन पिछले कुछ महीनों में मेरी ज़िंदगी में एक नया रंग आया—मेरी पड़ोसन, राधिका। यह कहानी मेरी और राधिका की है, और मैं इसे पूरी ईमानदारी से आपके सामने रख रहा हूँ, भले ही यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगे।

राधिका, 30 साल की, एक शादीशुदा औरत थी, जो मेरे पड़ोस में अपने पति और एक छोटे बच्चे के साथ रहती थी। उसका चेहरा खूबसूरत था, और उसकी साड़ी में लिपटा हुआ बदन किसी को भी अपनी ओर खींच सकता था। उसकी गहरी आँखें और मुस्कान में एक अजीब-सी शरारत थी, जो मुझे हमेशा बेचैन कर देती थी। राधिका का पति, संजय, एक बिजनेसमैन था, जो अक्सर टूर पर रहता था। राधिका दिन में अपने बच्चे की देखभाल करती और शाम को छत पर टहलते हुए मुझसे हल्की-फुल्की बातें करती। हमारी बातें शुरू में साधारण थीं—मोहल्ले की गपशप, मौसम, और रोज़मर्रा की बातें। लेकिन धीरे-धीरे हमारी बातों में एक अजीब-सी नजदीकी आने लगी।

एक दिन, मैं छत पर खड़ा था, और राधिका अपनी छत पर कपड़े सुखा रही थी। उसकी नीली साड़ी में वह किसी अप्सरा-सी लग रही थी। मैंने हँसते हुए कहा, “राधिका भाभी, आप तो दिन-ब-दिन और खूबसूरत होती जा रही हैं।” उसने शरमाते हुए जवाब दिया, “आदित्य, तुम भी तो कम नहीं हो। कोई गर्लफ्रेंड बनाई या अभी भी सिंगल हो?” मैंने हंसते हुए कहा, “भाभी, गर्लफ्रेंड तो नहीं, लेकिन आप जैसी पड़ोसन हो तो गर्लफ्रेंड की क्या ज़रूरत?” उसकी हंसी और गहरी हो गई, और उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मेरे दिल को बेचैन कर रही थी।

कुछ दिन बाद, मुझे एक बिजनेस मीटिंग के लिए दिल्ली जाना था। मैंने राधिका को बताया कि मैं दो दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ। उसने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “आदित्य, दिल्ली में मज़े करना, लेकिन मुझे भूल मत जाना।” उसकी बातों में एक शरारत थी, जो मुझे और करीब खींच रही थी। दिल्ली में मेरी मीटिंग जल्दी खत्म हो गई, और मैं एक दिन पहले ही वापस लौट आया। मैंने सोचा कि राधिका को सरप्राइज़ दूँ। मैंने उसे फोन किया और कहा, “भाभी, मैं वापस आ गया हूँ। क्या आप मुझसे मिलने आ सकती हैं? मैं एक होटल में रुका हूँ।”

राधिका ने हिचकिचाते हुए कहा, “आदित्य, ये ठीक नहीं है… संजय को पता चल गया तो?” मैंने उसे आश्वासन दिया, “भाभी, कोई नहीं जानता। बस एक कॉफी पीने आ जाओ।” कुछ देर सोचने के बाद उसने हामी भरी। उस रात, राधिका एक साधारण सलवार-कमीज़ में होटल के रेस्तरां में आई। उसका चेहरा शर्म और उत्साह के मिश्रण से लाल था। हमने कॉफी पी और हल्की-फुल्की बातें कीं। लेकिन माहौल में एक अजीब-सी गर्मी थी। मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और कहा, “राधिका, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो। मैं तुम्हें हर पल सोचता हूँ।”

उसने शरमाते हुए कहा, “आदित्य, ये गलत है… मैं शादीशुदा हूँ।” लेकिन उसकी आँखें कुछ और कह रही थीं। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “राधिका, बस एक रात… हमें ये पल जी लेने दे।” उसने एक गहरी साँस ली और हल्के से सिर हिलाया। मैंने उसे अपने कमरे में ले गया। कमरे में हल्की रोशनी थी, और बाहर बारिश की बूंदों की आवाज़ माहौल को और रोमांटिक बना रही थी।

मैंने राधिका को अपनी बाहों में लिया। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैंने धीरे-धीरे उसकी कमीज़ उतारी, और उसकी गोरी चूत मेरे सामने थी। मैंने उसकी चूत को प्यार से सहलाया, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। “आदित्य, धीरे… मुझे डर लग रहा है,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “राधिका, मैं तुम्हें प्यार से संभालूँगा।” मैंने अपनी पैंट उतारी, और मेरा सख्त लंड उसकी आँखों के सामने था। उसने शरमाते हुए मेरी ओर देखा और कहा, “आदित्य, ये… इतना सख्त है।”

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और धीरे-धीरे उसकी चूत को सहलाया। उसकी सिसकारियाँ तेज़ होती गईं। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर टिकाया, और राधिका ने हल्के-हल्के कूदना शुरू किया। “हाँ, आदित्य… और… और तेज़,” वह बार-बार कह रही थी। मैंने उसकी वासना को और भड़काया, और हर धक्के के साथ उसका जुनून बढ़ता जा रहा था। मेरे लंड ने उसकी चूत को पूरी तरह भर दिया, और वह हर पल में खो गई। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मैं पागल हो रहा था। “आदित्य, तुमने मेरे अंदर की आग जगा दी,” उसने सिसकारते हुए कहा।

उस रात, होटल के कमरे में, बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच, राधिका और मैं एक-दूसरे में डूब गए। यह उसका पहला ऐसा अनुभव नहीं था, लेकिन मेरे साथ उसकी चुदाई में एक नया जुनून था। हम दोनों ने उस पल को पूरी तरह जी लिया। सुबह होने से पहले, राधिका ने मुझे गले लगाया और कहा, “आदित्य, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “राधिका, ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल है।”

अगले दिन, राधिका अपने घर लौट गई, और मैं भी अपनी ज़िंदगी में वापस आ गया। हमारी मुलाकातें अब भी होती हैं, लेकिन उस रात की बात कभी सामने नहीं आई। मेरे मन में राधिका के लिए एक अजीब-सी चाहत है, लेकिन मैं जानता हूँ कि यह रिश्ता सिर्फ उस रात तक सीमित था।

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