मेरा नाम अखिल है, और मैं 25 साल का एक साधारण-सा लड़का हूँ, जो मुरादाबाद के एक छोटे-से मोहल्ले में रहता हूँ। मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश का एक शहर, जहाँ पीतल के बर्तनों की चमक और बाजारों की रौनक दिन-रात बनी रहती है। मेरे घर में मेरे माता-पिता और मैं रहते हैं, लेकिन मेरी ज़िंदगी में एक ऐसी घटना घटी, जिसने मेरे दिल और दिमाग को हमेशा के लिए बदल दिया। यह कहानी मेरी और मेरी बुआ, रानी, की है। हाँ, मैं जानता हूँ कि यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह मेरी सच्चाई है, और मैं इसे पूरी ईमानदारी से आपके सामने रख रहा हूँ।
रानी बुआ, मेरे पिता की छोटी बहन, 32 साल की थीं। वह दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर थीं और हर कुछ महीनों में हमारे घर कुछ दिन बिताने आती थीं। बुआ का चेहरा खूबसूरत था, उनकी आँखों में एक गहरी चमक थी, और उनकी साड़ी में लिपटा हुआ बदन किसी को भी बेचैन कर सकता था। उनकी कमर की लचक, उनकी हंसी में छुपी शरारत, और उनकी गहरी आवाज़ मुझे हमेशा अपनी ओर खींचती थी। मैं उन्हें बचपन से जानता था, लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मेरे मन में उनके लिए कुछ अलग-सी भावनाएँ जागने लगीं। मैं जानता था कि यह गलत है, लेकिन दिल का क्या? वह तो बस अपनी राह चलता है।
पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों की बात है। मेरे माता-पिता को एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए गांव जाना था। उन्होंने मुझसे कहा, “अखिल, रानी भी आ रही है। तुम दोनों घर संभाल लेना।” मैंने हामी भरी, लेकिन मेरे मन में एक अजीब-सी बेचैनी थी। बुआ के आने की खबर ने मेरे दिल की धड़कनें तेज़ कर दी थीं। उस दिन दोपहर को बुआ हमारे घर पहुँचीं। उनकी लाल साड़ी में वह किसी अप्सरा सी लग रही थीं। मैंने उनका बैग लिया और उन्हें अंदर ले गया। “अखिल, तू तो अब जवान हो गया है,” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा। मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “हाँ, बुआ, अब तो मैं आपसे भी बड़ा हो गया हूँ!” उनकी हंसी में एक शरारत थी, जो मेरे मन को बेचैन कर रही थी।
पहले दो दिन तो सब सामान्य रहा। बुआ दिन में अपने दोस्तों से मिलने जाती थीं, और मैं अपने कॉलेज के प्रोजेक्ट्स में व्यस्त रहता था। लेकिन तीसरे दिन, जब माता-पिता गांव में थे, कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी। उस दिन शाम को मैं छत पर बैठा था। हल्की ठंडी हवा चल रही थी, और आसमान में सितारे चमक रहे थे। बुआ भी छत पर आईं, अपनी नीली साड़ी में, और मेरे पास बैठ गईं। “अखिल, तुझे यहाँ अकेले क्या सूझता है?” उन्होंने मज़ाक में पूछा। मैंने कहा, “बस, बुआ, सितारों को देख रहा हूँ। और आप?” उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तो बस तुझे देखने आई हूँ। तू बड़ा हो गया है, लेकिन अभी भी वैसा ही भोला है।”
उनकी बातों में एक अजीब-सी गर्मी थी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “बुआ, आप तो दिन-ब-दिन और खूबसूरत होती जा रही हैं।” उन्होंने हंसते हुए मेरी ओर देखा और बोलीं, “अखिल, तू भी तो कम नहीं है। कोई गर्लफ्रेंड बनाई या अभी भी सितारों से ही रोमांस कर रहा है?” मैं शरमा गया और बोला, “नहीं, बुआ, अभी तक तो कोई गर्लफ्रेंड नहीं। लेकिन अगर आप जैसी कोई मिल जाए, तो बात बन जाए!” बुआ ने एक गहरी सांस ली और कहा, “अखिल, तू जानता है, दिल्ली की ज़िंदगी में सब कुछ है, लेकिन प्यार और जुनून की कमी है।”
उनकी बातों ने मेरे मन में एक आग सी जला दी। मैंने धीरे से उनका हाथ पकड़ा और कहा, “बुआ, अगर मैं कहूँ कि मुझे आप बहुत पसंद हैं, तो?” बुआ ने मेरी ओर देखा, और उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। “अखिल, तू जानता है कि ये गलत है,” उन्होंने धीरे से कहा। लेकिन उनकी आवाज़ में एक नरमी थी, जो मुझे और हिम्मत दे रही थी। मैंने धीरे-धीरे उनके करीब जाना शुरू किया। उनकी साड़ी का पल्लू हल्के से सरक गया, और उनकी गोरी कमर चाँदनी की तरह चमक रही थी। मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा, और उनकी साँसें तेज़ हो गईं। “अखिल, ये ठीक नहीं है…” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा, लेकिन उनकी आँखें कुछ और कह रही थीं।
मैंने हिम्मत जुटाकर उन्हें अपनी बाहों में ले लिया। उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। “बुआ, मैं आपकी वासना जगाना चाहता हूँ,” मैंने धीरे से कहा। बुआ ने एक पल के लिए मेरी ओर देखा, और फिर उनकी आँखें बंद हो गईं। मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी उतारी, और उनकी चूत, जो अभी तक सीलपैक थी, मेरे सामने थी। मैंने उनकी चूत को धीरे-धीरे सहलाया, और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। “अखिल, धीरे… ये मेरा पहली बार है,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा।
मैंने अपनी पैंट उतारी, और मेरा सख्त लंड उनकी आँखों के सामने था। बुआ ने शरमाते हुए मेरी ओर देखा और कहा, “अखिल, ये बहुत बड़ा है… मुझे डर लग रहा है।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “बुआ, मैं आपको प्यार से संभालूँगा।” मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और धीरे-धीरे उनकी चूत को सहलाया। उनकी सिसकारियाँ तेज़ होती गईं। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उनकी चूत पर टिकाया, और बुआ ने हल्के-हल्के कूदना शुरू किया। “हाँ, अखिल… और… और तेज़,” वह बार-बार कह रही थीं।
मैंने उनकी वासना को और भड़काया, और हर धक्के के साथ उनका जुनून बढ़ता जा रहा था। मेरे लंड ने उनकी सीलपैक चूत की सील तोड़ दी, और वह हर पल में खो गईं। मैंने उन्हें अपनी बाहों में जकड़ रखा था, और हम दोनों एक-दूसरे में पूरी तरह डूब गए। बुआ की चूत इतनी टाइट थी कि मैं पागल हो रहा था। “अखिल, तुमने मेरे अंदर की आग जगा दी,” उन्होंने सिसकारते हुए कहा। मैंने उनकी बातों को सुनकर और जोश में आ गया, और हम दोनों उस रात एक-दूसरे के हो गए।
उस रात, बारिश की बूंदों की आवाज़ के बीच, मैंने बुआ की चुदाई की। यह उनका पहली बार था, और मेरा भी। हम दोनों ने उस पल को पूरी तरह जी लिया। सुबह होने से पहले, बुआ ने मुझे गले लगाया और कहा, “अखिल, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, बुआ… ये मेरी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत पल है।”
अगले दिन, बुआ दिल्ली वापस चली गईं। मेरे माता-पिता गांव से लौट आए, और ज़िंदगी फिर से सामान्य हो गई। लेकिन मेरे मन में उस रात की यादें हमेशा के लिए बस गईं। बुआ से मेरी बातें अब भी होती हैं, लेकिन उस रात की बात कभी सामने नहीं आई। मेरे दिल में उनके लिए एक अजीब-सी चाहत है, लेकिन मैं जानता हूँ कि यह रिश्ता सिर्फ उन पलों तक सीमित था।
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