मेरी प्यासी चूत देवर के लंड से तृप्त हुई: कामुक हिंदी सेक्स स्टोरी

मेरा नाम है प्रिया, और मैं 29 साल की एक गृहिणी हूँ। मैं मुरादाबाद के एक मध्यमवर्गीय मोहल्ले में रहती हूँ, जहाँ की गलियों में सुबह की चाय की चुस्कियाँ और पड़ोसियों की गपशप की रौनक हमेशा बनी रहती है। मेरी शादी को चार साल हो चुके हैं, और मेरा पति, संजय, एक बिजनेसमैन है, जो अक्सर अपने काम के सिलसिले में बाहर रहता है। मेरी ज़िंदगी में सब कुछ ठीक था, लेकिन मेरे दिल में एक खालीपन था, एक प्यास जो शायद हर औरत अपने पति से पूरी होने की उम्मीद रखती है। लेकिन मेरी यह प्यास मेरे देवर, विक्रम, ने पूरी की। यह कहानी मेरी और विक्रम की है, और मैं इसे पूरी ईमानदारी से आपके सामने रख रही हूँ।

विक्रम, मेरा देवर, 25 साल का है। वह एक फिटनेस फ्रीक है, और उसकी टोंड बॉडी और आकर्षक चेहरा किसी को भी अपनी ओर खींच सकता है। वह हमारे घर में ही रहता है, क्योंकि वह अभी अपने करियर की शुरुआत में है और मुरादाबाद में ही जॉब करता है। शुरू में मेरे और विक्रम के बीच एक साधारण सास-देवर का रिश्ता था। वह मुझे भाभी कहकर बुलाता, और मैं उसका ख्याल रखती। लेकिन धीरे-धीरे हमारी बातों में एक नजदीकी आने लगी। विक्रम का बिंदास अंदाज़ और उसकी हँसी मुझे हमेशा अच्छी लगती थी।

अकेलापन और चाहत

संजय के बार-बार बाहर रहने की वजह से मैं अक्सर अकेली रहती थी। एक दिन, जब मैं रसोई में खाना बना रही थी, विक्रम घर आया। उसने अपनी टी-शर्ट उतारी और जिम से पसीने में भीगा हुआ मेरे सामने खड़ा हो गया। “भाभी, आज जिम में बहुत मेहनत की,” उसने हँसते हुए कहा। मैंने उसकी टोंड बॉडी की ओर देखा और हँसते हुए जवाब दिया, “विक्रम, तू तो किसी हीरो से कम नहीं लगता।” उसने मेरी ओर देखा, और उसकी आँखों में एक शरारत थी। “भाभी, आप भी तो किसी हीरोइन से कम नहीं हो,” उसने कहा। उसकी बातों ने मेरे मन में एक अजीब-सी हलचल पैदा कर दी।

उस रात, संजय फिर से एक बिजनेस ट्रिप पर चले गए। घर में सिर्फ मैं और विक्रम थे। बाहर बारिश शुरू हो गई थी, और माहौल में एक गर्मी थी। मैं अपने कमरे में थी, और मेरे मन में एक अजीब-सी बेचैनी थी। मैंने विक्रम को आवाज़ दी, “विक्रम, क्या तुम मेरे साथ थोड़ी देर बैठ सकते हो? मुझे अकेलापन महसूस हो रहा है।” वह तुरंत मेरे कमरे में आया और मेरे पास बिस्तर पर बैठ गया। “भाभी, आप उदास क्यों हो? मैं तो हूँ ना आपके साथ,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

प्यास जागने की शुरुआत

मैंने उसकी ओर देखा और कहा, “विक्रम, संजय हमेशा बाहर रहते हैं। मैं कभी-कभी बहुत अकेली महसूस करती हूँ।” उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “भाभी, मैं हूँ ना। आप कभी अकेली नहीं होंगी।” उसकी बातों में एक गर्मजोशी थी, जो मेरे दिल को छू रही थी। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “विक्रम, क्या तुम मुझे वो सुख दे सकते हो, जो एक औरत अपने पति से चाहती है?” मेरी बात सुनकर उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, लेकिन उसने धीरे से सिर हिलाया।

मैंने उसे अपनी बाहों में लिया, और उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे को छू रही थीं। मैंने अपनी साड़ी का पल्लू सरकाया, और मेरी गोरी कमर उसके सामने थी। उसने धीरे-धीरे मेरी चूत को सहलाया, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। “भाभी, आप इतनी खूबसूरत हो,” उसने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने शरमाते हुए जवाब दिया, “विक्रम, मेरी प्यास को बुझा दे।”

चुदाई का सुख

विक्रम ने अपनी पैंट उतारी, और उसका सख्त लंड मेरे सामने था। मैंने उसे प्यार से सहलाया, और उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “भाभी, ये… बहुत अच्छा लग रहा है,” उसने सिसकारते हुए कहा। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को चूमा। मेरी प्यासी चूत अब पूरी तरह गीली थी। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया, और धीरे-धीरे अंदर डाला। मेरी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं। “हाँ, विक्रम… और… और तेज़,” मैं बार-बार कह रही थी।

उसके हर धक्के के साथ मेरी प्यासी चूत को सुख मिल रहा था। उसका लंड मेरी चूत को पूरी तरह भर रहा था, और मैं हर पल में खो गई थी। “विक्रम, तुमने मेरी ज़िंदगी में नया रंग भर दिया,” मैंने सिसकारते हुए कहा। उसने मेरी बातों को सुनकर और जोश में आ गया। हम दोनों उस रात एक-दूसरे में डूब गए। बारिश की बूंदों की आवाज़ और हमारी सिसकारियों ने उस रात को अविस्मरणीय बना दिया।

उस रात का राज़

सुबह होने से पहले, विक्रम ने मुझे गले लगाया और कहा, “भाभी, यह हमारा राज़ है। किसी को नहीं पता चलेगा।” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “विक्रम, तुमने मेरी प्यास को तृप्त कर दिया।” उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मेरे दिल को सुकून दे रही थी।

अगले दिन, संजय वापस आ गए, और हम दोनों अपनी-अपनी ज़िंदगी में लौट गए। विक्रम और मैं अब भी एक-दूसरे से सामान्य व्यवहार करते हैं, लेकिन उस रात की यादें मेरे मन में हमेशा के लिए बस गईं। मेरे मन में विक्रम के लिए एक खास जगह है, और उस रात ने मेरी प्यास को तृप्त कर दिया।

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